2012 में वेदांतु की शुरुआत की गई और अब ये कंपनी यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो चुकी है.
नई दिल्ली. कोविड-19 ने जहां एक तरफ कई लोगों से रोजगार छीन लिया तो कुछ काम ऐसे भी रहे, जिनका सितारा इसी समय के दौरान चमकने लगा. ज्यादातर एजुटेक (EduTech) कंपनियों की यही कहानी है. आज हम बात करने वाले हैं वेदांतु (Vedantu) की. वेदांतु इसलिए, क्योंकि 29 सितंबर 2021 को वेदांतु ने बताया है कि कंपनी को सीरीज-ई के तहत 100 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली है. आज के हिसाब से 100 मिलियन डॉलर मतलब 7,42,58,10,000 रुपये. 7 अरब 42 करोड़ 58 लाख 10 हजार रुपये. अब वेदांतु भी भारत के यूनिकॉर्न क्लब (Unicorn Club) का हिस्सा बन गई है. यूनिकॉर्न क्लब में ऐसे स्टार्टअप शामिल हैं जिनकी वेल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर से अधिक है.
कब हुई वेदांतु की शुरुआत
वामसी कृष्णा ने 2005 में आईआईटी (IIT) बॉम्बे से बी.टेक की डिग्री लेने के बाद अपने तीन दोस्तों (सौरभ सक्सेना, पुल्कित जैन और आनंद प्रकाश) के साथ मिलकर ‘लक्ष्य’ (Lakshya) की स्थापना की. ये एकेडमी इंजीनियरिंग और मेडिकल के एंट्रेस एग्जाम्स के लिए छात्रों को ट्रेनिंग देती थी. इन चारों ने 10 हजार से ज्यादा छात्रों समेत 200 से अधिक टीचर्स को ट्रेनिंग दी. 2012 में लक्ष्य को MT एजुकेयर द्वारा खरीद लिए जाने तक ये चारों वहीं काम करते रहे. चारों ने 2011 में वेदांतु की शुरुआत की, लेकिन 2018 में सौरभ सक्सेना ने कंपनी छोड़ दी और अब बाकी तीनों दोस्त मिलकर कंपनी को संभाल रहे हैं.
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कंपनी का नाम वेदांतु रखे जाने के पीछे भी एक वजह है. ये दो शब्दों से मिलकर बना है. एक है वेद और दूसरा तंतु. वेद मतलब नॉलेज और तंतु का अभिप्राय है नेटवर्क (Veda = Knowledge and Tantu= Network). नॉलेज का एक तंत्र जिसमें स्टूडेंट्स को ज्ञान पाने में कोई प्रॉब्लम न हो.
वेदांतु ने क्या खास किया
आपने स्कूल में पढ़ाई तो की ही होगी. कई बार महसूस किया होगा कि जो भी हम पढ़ते हैं, उसको आसान तरीके से समझाया जाए तो अच्छा हो. साथ ही जब चाहें तब टीचर से बात कर पाएं और अपने सवाल पूछ पाएं. सिर्फ आप नहीं, हर कोई ऐसा ही सोचता है. तो वेदांतु ने इसी कॉन्सेप्ट को मूर्तरूप दिया. वेदांतु ने ये सुनिश्चित किया कि उनके साथ जुड़ा हर छात्र जब चाहे तब अपने टीचर से बात कर पाए. हर क्लास को इंटरेक्टिव और इंट्रेस्टिंग बना दिया. सबसे खास बात ये है कि हर छात्र अपनी स्पीड के साथ चल सकता है. मलतब ये तेजी से सबकुछ समझ जाने वाले बच्चे क्लास में आगे निकल जाते हैं तो पीछे वाले पीछे ही नहीं रह जाते. अपनी समझने की क्षमता और स्पीड के साथ वे भी आगे बढ़ते रहते हैं. सभी लेक्टर्स रिकार्ड होते हैं और उन्हें फिर से देखा जा सकता है. वेदांतु की तरफ से ये दावा भी किया जाता है कि यदि आपके इलाके में इंटरनेट स्पीड अच्छी नहीं है तो भी उनके वीडियो क्लासेस अच्छे से चलते हैं.
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लोगों को भा रहा है वेदांतु का मॉडल
इसमें तो कोई शक नहीं है कि ये वेदांतु की पढ़ाई का तरीका छात्रों को पसंद आ रहा है, तभी तो हर महीने तकरीबन 35 मिलियन यूजर इसकी ऐप और वेबसाइट का इस्तेमाल फ्री में करते हैं. इसके यूट्यूब चैनल पर 65 मिलियन व्यूज़ हैं जोकि लगातार बढ़ रहे हैं. वेदांतु का दावा है कि ये नंबर भारत की किसी भी K-12 एजुकेशनल कंपनी से अधिक है. पिछले साल कंपनी ने 2 लाख से ज्यादा फीस देकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को पढ़ाया, जोकि उससे पहले के साल से 300% अधिक था.
दरअसल, वेदांतु हर छात्र की मॉनिटरिंग करता है. इसके लिए समय समय पर टेस्ट और कॉम्प्रीहेन्सिव एनालिसिस होता रहता है. इससे छात्र और उनके पेरेंट्स भी ये जानते हैं कि क्या और कितनी पढ़ाई हो रही है.
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