IIT से बीटेक अजित जैन नहीं जानते थे इंश्योरेंस बिज़नेस, अब अरबपति के वारिस की दौड़ में

अजित जैन.
वॉरेन बफे के उत्तराधिकारी की रेस में शामिल लोगों में भारतीय मूल के अजित जैन का नाम भी शामिल है और वह सीईओ पद के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: May 4, 2019, 7:00 PM IST
दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति और मशहूर उद्योगपति वॉरेन बफे के उत्तराधिकारी की दौड़ में दो नाम सबसे आगे हैं. एक हैं जार्जरी एबेल और दूसरे अजित जैन. इन दोनों को पिछले साल ही बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किया गया था और दोनों बफे के साथ लंबे समय से काम कर रहे हैं. एबेल ने कंपनी में एनर्जी डिवीजन को 1992 में जॉइन किया था और जैन 1986 में इंश्योरेंस डिवीजन में आए थे.
READ: दुनिया के तीसरे बड़े अमीर के उत्तराधिकारी हो सकते हैं अजित जैन
जैन ने आईआईटी खड़गपुर से की पढ़ाई
ओडिशा के कटक में 1951 में जन्मे अजित जैन बर्कशायर हैथवे के इंश्योरेंस ऑपरेशन्स के वाइस चेयरमैन रहे हैं. डॉइच बैंक के पूर्व सीओ-सीईओ रह चुके अंशु जैन के कज़िन अजित की परवरिश ओडिशा में ही हुई. 1972 में उन्होंने आईआईटी खड्गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की थी.कभी सेल्समैन रहे जैन अब 14 हजार करोड़ के हैं मालिक
अजित जैन 2 अरब डॉलर यानी 14 हजार करोड़ रुपये के मालिक हैं. फोर्ब्स के मुताबिक वॉरेन बफे वर्तमान में दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स हैं, जिनकी नेटवर्थ 89.8 अरब डॉलर यानी करीब 6.29 लाख करोड़ रुपये है. जैन ने भारत में 1973 से 1976 तक डाटा प्रोसेसिंग ऑपरेशन के लिए इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कॉर्पोरेशन (आईबीएम) में बतौर सेल्समैन काम किया. उन्हें 1976 में अपनी इस नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा. दरअसल, आईबीएम ने इस प्रोजेक्ट को भारत में बंद कर दिया था.

अमेरिका शिफ्ट होने की दास्तान
1978 में जैन अमेरिका चले गए थे और फिर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से उन्होंने एमबीए किया और मैकिन्सी एंड कंपनी में नौकरी की. 1980 के दशक की शुरूआत में जैन भारत लौटे और उन्होंने शादी की. शादी के कुछ समय बाद ही अपने परिवार के साथ जैन फिर अमेरिका शिफ्ट हो गए. जैन फिलहाल न्यूयॉर्क में रहते हैं.
पहले नहीं जानते थे इंश्योरेंस बिज़नेस
1986 में जैन ने मैकिन्सी को छोड़ा और वॉरेन बफे के इंश्योरेंस ऑपरेशन्स को संभाला. इससे पहले 1982 में भी जैन को उनके पूर्व बॉस माइकल गोल्डबर्ग ने बर्कशायर हैथवे जॉइन करने के लिए न्योता दिया था लेकिन तब जैन ने कहा था कि वो इंश्योरेंस बिज़नेस के बारे में कम ही जानते थे.
पांच साल पहले ही था उत्तराधिकार का संकेत
इसके बाद 2014 में शेयरहोल्डरों के लिए जारी किए गए सालान पत्र में कहा गया था कि जैन और एबेल में से कोई वॉरेन बफे का मुनासिब उत्तराधिकारी हो सकता है. फिर जनवरी 2018 में जैन को बर्कशायर हैथवे के इंश्योरेंस ऑपरेशन्स का वाइस चेयरमैन नियुक्त करने के साथ ही हैथवे के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल किया गया था.
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वॉरेन बफे के वारिस की रेस में भारतीय मूल के अजित जैन का नाम चर्चा में.
अमेरिका शिफ्ट होने की दास्तान
1978 में जैन अमेरिका चले गए थे और फिर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से उन्होंने एमबीए किया और मैकिन्सी एंड कंपनी में नौकरी की. 1980 के दशक की शुरूआत में जैन भारत लौटे और उन्होंने शादी की. शादी के कुछ समय बाद ही अपने परिवार के साथ जैन फिर अमेरिका शिफ्ट हो गए. जैन फिलहाल न्यूयॉर्क में रहते हैं.
पहले नहीं जानते थे इंश्योरेंस बिज़नेस
1986 में जैन ने मैकिन्सी को छोड़ा और वॉरेन बफे के इंश्योरेंस ऑपरेशन्स को संभाला. इससे पहले 1982 में भी जैन को उनके पूर्व बॉस माइकल गोल्डबर्ग ने बर्कशायर हैथवे जॉइन करने के लिए न्योता दिया था लेकिन तब जैन ने कहा था कि वो इंश्योरेंस बिज़नेस के बारे में कम ही जानते थे.
पांच साल पहले ही था उत्तराधिकार का संकेत
इसके बाद 2014 में शेयरहोल्डरों के लिए जारी किए गए सालान पत्र में कहा गया था कि जैन और एबेल में से कोई वॉरेन बफे का मुनासिब उत्तराधिकारी हो सकता है. फिर जनवरी 2018 में जैन को बर्कशायर हैथवे के इंश्योरेंस ऑपरेशन्स का वाइस चेयरमैन नियुक्त करने के साथ ही हैथवे के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल किया गया था.
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