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8 साल चला था इतिहास का सबसे लंबा ट्रैफिक जाम, दोनों तरफ से बमबारी के बीच फंसे थे लोग, फिर एक दिन...

स्वेज नहर में लगा था इतिहास का सबसे लंबा ट्रैफिक जाम. (moneycontrol)

स्वेज नहर में लगा था इतिहास का सबसे लंबा ट्रैफिक जाम. (moneycontrol)

हम सड़क पर आधे घंटे के जाम में फंस जाएं तो परेशान हो जाते हैं लेकिन 1967 में लगे जाम में लोग 8 साल फंसे रहे थे. यह जाम ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

स्वेज नहर में लगा था 8 साल लंबा ट्रैफिक जाम.
नहर में मिस्रे द्वारा बिछा दिए गए थे विस्फोटक.
इजरायल द्वारा हमले के बाद उठाया गया था कदम.

नई दिल्ली. कहीं जाते समय हमें अगर आधे घंटे के भी ट्रैफिक जाम में फंसना पड़ जाए तो ऐसा लगता है कि शरीर की सारी ऊर्जा ही खत्म हो गई है. दिल्ली, गुरुग्राम, बेंगलुरु और मुंबई समेत भारत के ऐसे कई बड़े शहर हैं जहां ट्रैफिक जाम लोगों की नाक में दम किये रहता है. हालांकि, अगर हम आपसे कहें कि ये मिनटों-घंटो के जाम तो कुछ भी नहीं इतिहास का सबसे लंबा जाम 8 साल लंबा था तो आपको विश्वास नहीं होगा. लेकिन ये एकदम सही है. ये जाम सड़क पर नहीं बल्कि पानी में लगा था.

2 साल पहले मिस्र (Egypt) की स्वेज नहर में एक मालवाहक जहाज के कुछ दिन फंसने से दुनियाभर में खलबली मच गई थी. इससे हर दिन हजारों करोड़ रुपये के ट्रेड का नुकसान हो रहा था. स्वेज नहर के साथ लेकिन ये कोई पहला ऐसा वाकया नहीं था. साल 1967 में यहां जो जाम लगा था वो 8 साल बाद 1975 में जाकर खुला था. इतने लंबे जाम की वजह जहाज का बंद हो जाना या टेढ़ा होकर फंसना नहीं था. इसके पीछे का कारण जानने से पहले ये जान लीजिए कि स्वेज नहर क्या है. यह नहर भूमध्य सागर (Mediterranean sea) को लाल सागर के रास्ते अरब सागर (Arabian Sea) से जोड़ती है जहां से जहाज फिर भारत की ओर आते हैं. पहले यूरोप से जहाजों को हिंद महासागर तक पहुंचने के लिए अफ्रीका से घूमकर आना पड़ता था. नहर के बन जाने से ये सफर आधा रह गया.

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क्या थी जाम की वजह?
स्वेज नहर मिस्र में है. मिस्र क्षेत्रफल के हिसाब से काफी बड़ा देश है और उसकी उत्तर-पूर्व सीमा इजरायल के साथ लगती है. हालांकि, मिस्र में स्वेज नहर के बाद का बहुत बड़ा हिस्सा जिसे सिनाई प्रायद्वीप (Sinai Peninsula) कहा जाता है, खाली है. इस हिस्से और मिस्र के मुख्य इलाकों के बीच स्वेज नहर के बन जाने से ये एरिया मिस्रे से कटा दिखता है. इसी जगह के लिए इजरायल ने 1967 में अचानक मिस्र के ऊपर हमला बोल दिया और इस पूरे इलाके को अपने कब्जे में ले लिया. ये हमला 5 जून 1967 को हुआ था और बदकिस्मती से उसी सुबह 15 मालवाहक जहाजों ने भूमध्य सागर की ओर से स्वेज नहर में प्रवेश किया. स्वेज नहर से लाल सागर तक पहुंचने में करीब 12 घंटे का समय लगता है लेकिन इन जहाजों को नहीं पता था कि ये दूरी अब 8 साल की होने वाली है.

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स्वेज नहर ने भूमध्य सागर अरब सागर तक का रास्ता बहुत छोटा कर दिया था. (Google Earth)

दोनों तरह से नहर कर दी गई बंद
इजरायल के हमले व सिनाई रेगिस्तान को अपने कब्जे में लेने के बाद मिस्र ने स्वेज नहर को दोनों ओर से बंद कर दिया. उसका कोई इस्तेमाल न कर सके इसलिए दोनों और जहाज डुबाए गए और साथ ही नहर में विस्फोटक बिछा दिए गए. अब ये जहाज पूर्व-पश्चिम से हो रही बमबारी के बीच फंस चुके थे और उत्तर-दक्षिण में इनके लिए रास्ते बंद हो गए थे. इसमें अमेरिका ब्रिटेन समेत कई देशों के जहाज थे. जब उन्हें समझ आ गया कि ये स्थिति इतनी जल्दी नहीं बदलने वाली जो सभी स्टाफ को वापस बुला लिया गया और कुछ लोगों को मेंटेनेंसे के लिए शिप पर ही छोड़ दिया गया. इन्हें भी कुछ महीनों के अंतर पर बदल दिया जाता था.

1975 में इंतजार हुआ खत्म
करीब 6 साल बाद 1973 में एक बार फिर युद्ध शुरू हुआ और इस बार मिस्र ने हमला किया. आक्रमण इतना जोरदार था कि इजरायली को बहुत अंदर तक धकेल दिया गया और एक बार फिर मिस्र ने सिनाई पर कब्जा कर लिया. इस बीच एक रॉकेट आकर अमेरिकी शिप पर गिरा वह पूरी तरह तबाह हो गया. दोनों तरफ भारी क्षति के बाद आखिरकार दोनों देशों के बीच समझौता हुआ और इजरायल ने सिनाई पर मिस्र का अधिकार मान लिया. युद्ध खत्म होने के बाद भी मलबे और पानी में बिछे विस्फोटकों के कारण जहाजों का वहां से निकलना मुमकिन नहीं था. नहर को साफ करने में करीब 2 साल का समय लगा और 5 जून 1978 को ही 14 जहाज वहां से निकल पाए.

Tags: Business news, Egypt, Israel, Suez Canal, Traffic Jam

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