इसके लिए सभी हितधारकों की राय जानना जरूरी है- तरुण बजाज (फोटो- न्यूज18)
नई दिल्ली. केंद्रीय राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा है कि मौजूदा कैपिटल गेन टैक्स प्रणाली में कई खामियां हैं और इसे बदलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रणाली में विभिन्न समय अवधि के लिए अलग-अलग दरें हैं. बजाज ने यह बातें इक्विटी (स्टॉक), डेट और अन्य चल-अचल संपत्तियों पर लगने वाले कैपिटल गेन टैक्स के बारे में बोलते हुए कहीं. तरुण बजाज ने सीएनबीसी-टीवी18 को दिए इंटरव्यू में कहा, “हमारी कैपिटल टैक्स प्रणाली काफी जटिल है. इसे सरल बनाने की जरूरत है.”
बकौल बजाज, “मैं ये बात पहले भी कह चुका हूं और फिर से दोहरा रहा हूं. हम अलग-अलग फाइनेंशियल्स पर अलग-अलग टैक्स चार्ज करते हैं. यह तय करने के लिए हमने विभिन्न टाइम फ्रेम भी बना रखे हैं, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म. कुछ मामलों में हमारे पास इंडेक्सेशन भी है जबकि कई मामलों में नहीं है. ये सब ठीक किए जाने की जरूरत है.”
सरकार कर सकती है बदलाव?
तरुण बजाज ने कहा कि सरकार को इस संबंध में कई सुझाव मिले हैं. बकौल बजाज, अब इन्हें लागू किया जाएगा या नहीं यह नीति निर्माताओं पर ही निर्भर करता है. उन्होंने कहा, “हम यह जानना चाहते थे कि इससे जुड़े लोगों पर नियमों में बदलाव का क्या असर होगा. मैं जिस तरह के रिस्पॉन्स की उम्मीद कर रहा था वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई. अब ये मामला नीति निर्माताओं के हाथ में है. हमने इस दिशा में कुछ तैयारी की है. मैं बजट मेकिंग प्रोसेस का हिस्सा नहीं हूं. अब यह सरकार के हाथ में है कि वह बदलाव करे या फिर कुछ समय और इंतजार कर इस पर चर्चा करे.”
निवेशकों का मत जरूरी
तरुण बजाज ने कहा, “मैं अपनी धारणाओं के आधार पर कोई बदलाव नहीं करना चाहता हूं. जो लोग स्टॉक मार्केट, बॉन्ड मार्केट और रियल एस्टेट में काम करते हैं उनका मत जरूरी है. हमें जानना चाहिए कि उन्हें क्या चीज प्रभावित कर रही हैं. क्योंकि हम बात आखिरकार टैक्स की कर रहे हैं, टैक्स का प्रभाव किसी उत्पादन की बिक्री पर होता है. इसलिए हमें पता होना चाहिए कि ये बदलाव हर सेगमेंट को कैसे प्रभावित करेंगे और फिर पूरी समझ के साथ इस पर फैसला लिया जाना चाहिए.
कैसे लगता है कैपिटल गेन टैक्स
आयकर अधिनियम के तहत आप अगर कोई चल व अचल संपत्ति को बेचकर मुनाफा कमाते हैं तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है. ये टैक्स लॉन्ग टर्म होगा या शॉर्ट टर्म यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आपने एसेट को कितने दिनों के लिए अपने पास रखा. यहां एक पेंच ये भी है कि अलग-अलग एसेट के लिए लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स कैलकुलेट करने का टाइम भी अलग-अलग है. जो इसे काफी जटिल बनाता है. उदाहरण के लिए स्टॉक्स के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 1 साल से ऊपर के समय पर लगता है. जबकि प्रॉपर्टी (जमीन, मकान आदि) पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 2 साल बाद लगता है. डेट आधारित निवेश विकल्पों के लिए यह समयावधि 3 साल की है.
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