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साइरस मिस्त्री मामला: ट्रिब्यूनल के फैसले को टाटा सन्स ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

 18 दिसंबर 2019 को एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें फिर से टाटा सन्स के चेयरमैन नियुक्त करने का आदेश दिया था

18 दिसंबर 2019 को एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें फिर से टाटा सन्स के चेयरमैन नियुक्त करने का आदेश दिया था

साइरस मिस्त्री के मामले में टाटा सन्स ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुन ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. साइरस मिस्त्री मामले पर आए नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के  फैसले के खिलाफ टाटा सन्स सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. 18 दिसंबर 2019 को एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें फिर से टाटा सन्स का चेयरमैन नियुक्त करने का आदेश दिया था. साथ ही, ट्रिब्यूनल ने एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया था. ट्रिब्यूनल ने साइरस मिस्त्री को हटाने के फैसले को गलत ठहराया. वहीं, ट्रिब्यूनल ने टाटा सन्स को अपील के लिए 4 हफ्ते का वक्त भी दिया था. टाटा सन्स ने 24 अक्टूबर 2016 को मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था. मिस्त्री ने फैसले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में चुनौती दी थी, लेकिन हार गए. बाद में एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ अपीलेट ट्रिब्यूनल पहुंचे थे.

    क्या है मामला-

    >> साइरस मिस्‍त्री, जो टाटा संस के छठे चेयरमैन थे, को अक्‍टूबर 2016 में एक नाटकीय घटनाक्रम में उनके पद से हटा दिया गया था.

    >> रतन टाटा के रिटायर होने के बाद मिस्‍त्री ने 2012 में चेयरमैन का पद संभाला था. इसके बाद टीसीएस के प्रबंध निदेशक और सीईओ एन चंद्रशेखरन को टाटा संस का नया चेयरमैन बनाया गया.

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    >> इसके दो महीने बाद मिस्त्री की ओर से उनके परिवार की दो इन्वेस्टमेंट कंपनियों- साइरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प ने टाटा सन्स के फैसले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई बेंच में चुनौती दी थी.

    >> इन कंपनियों की दलील थी कि मिस्त्री को हटाने का फैसला कंपनीज एक्ट के नियमों के मुताबिक नहीं था, लेकिन जुलाई 2018 में एनसीएलटी ने दावे खारिज कर दिए. इसके बाद मिस्त्री ने खुद एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ अपील की थी.

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