होम /न्यूज /व्यवसाय /क्या आपने भी कराई है किसी बैंक में FD, कब कितना और कैसे काटता है TDS, क्या हैं इससे जुड़े नियम

क्या आपने भी कराई है किसी बैंक में FD, कब कितना और कैसे काटता है TDS, क्या हैं इससे जुड़े नियम

जानें FD पर टैक्स कैसे लगता है

जानें FD पर टैक्स कैसे लगता है

Tax Rules On FD: सावधि जमा (Fixed Deposit) निर्धारित अवधि तक फंड को निवेश करने और निर्धारित ब्याज दर पर रिटर्न प्राप्त ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. सभी बैंकों ने हाल में फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों (FD Rate Hike) में जमकर वृद्धि की है. इस समय प्राइवेट से लेकर सरकारी तक लगभग सभी बैंकों ने फिक्सड डिपॉजिट (Bank FD) यानी FD पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं. कई बैंक तो ऐसे हैं जिन्होंने एक ही महीने में दो बार FD पर इंटरेस्ट रेट बढ़ा दिया है. लोगों का सबसे पसंदीदा निवेश विकल्प भी FD ही होता है. बचत करने के लिए यह तरीका हर उम्र के लोगों को पसंद आता है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि दूसरे स्कीम्स के मुकाबले यह सुरक्षित और सबसे कम जोखिम वाला होता है. छोटी से लेकर लंबी अवधि के लिए भी इसमें निवेश किया जा सकता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं फिक्स्ड डिपॉजिट से होने वाली आय पर पूरा पूरा टैक्स लगता है. मतलब इसमें कोई छूट नहीं होती है. इसे आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लागू होता है. इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय इसे “अन्य स्रोतों से होने वाली आय” के तहत रखा जाता है.

ये भी पढ़ें: इस नवरत्न स्टॉक में पैसा लगाने वालों की लगी लॉटरी, निवेशक हुए करोड़पति,1 लाख के बन गए 2 करोड़ 

FD पर टैक्स कैसे लगता है?
यदि आप वरिष्ठ नागरिक नहीं हैं और आपकी FD पर ब्याज 40,000 रुपये से अधिक होता है तो बैंक इस पर दी जाने वाली ब्याज पर TDS काटते हैं. यदि आप सीनियर सिटिजन हैं तो 50,000 रुपये के बाद TDS काटा जाता है. यहां, ध्यान रखने वाली बात यह है कि TDS तब काटा जाता है, जब आपकी FD पर ब्याज जोड़ा जाता है या क्रेडिट किया जाता है, न कि तब, जब FD मेच्योर होती है. इस तरह, यदि आपने 3 साल की FD कराई है तो बैंक हर साल ब्जाय देते समय टीडीएस काटेंगे.

कैसे होता है कैलकुलेशन
आपको फिक्स्ड डिपॉजिट के ब्याज से जितनी भी आय हो रही है उसे आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है (यदि आपको टैक्स कैलकुलेशन के समय तक ब्याज नहीं मिला है, तब). अब आपको देखना होगा कि आपकी आय किस टैक्स स्लैब में आती है. आयकर विभाग उस TDS, जो पहले ही काटा जा चुका है, को आपके कुल टैक्स देनदारी में एडजस्ट कर देता है. यदि बैंक ने आपकी FD पर ब्याज नहीं काटा है तो समझ लें कि आपको एक वित्त वर्ष में प्राप्त हुई कुल प्राप्त ब्याज पर टैक्स देना होगा. इसे आपको अपनी कुल आय में जोड़कर ही रिटर्न दाखिल करना होगा. यदि आपको ब्याज मिल रहा है तो उस पर सालाना आधार पर टैक्स भरना चाहिए, न कि फिक्स्ड डिपॉजिट के मेच्योर होने का इंतजार करना चाहिए.

ये भी पढ़ें: अशनीर ग्रोवर को DigiYatra ऐप में हुई दिक्कत, यूजर्स को दी ये सलाह, यूजर ने भी दिया गजब रिप्लाई

कब लगता है 20 फीसदी टैक्स?
अगर आपको एक वित्तीय वर्ष में छूट की सीमा से ज्यादा राशि मिली है तो बैंक 10 फीसदी की दर से टीडीएस की कटौती करते हैं. अगर जमाकर्ता ने पर्मानेंट एकाउंट नंबर (PAN) जमा नहीं किया तो एफडी पर 20 फीसदी टैक्स लगेगा. अगर आपको मिली ब्याज की राशि छूट सीमा के अंदर है और बैंक ने फिर भी टीडीएस काटा तो आप उसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त क्लेम कर सकते हैं.

ब्याज पर कब टैक्स चुकाना होता है?
यदि आपकी कुल आय में ब्याज आय जोड़ने पर टैक्स लायबिलिटी है, तो उसे वित्त वर्ष के 31 मार्च को या उससे पहले भुगतान करना जरूरी है. इस तरह आप किसी भी बकाया टैक्स का भुगतान कर सकते हैं. हालांकि, अगर आपकी कुल आय में आपकी ब्याज आय को शामिल करने के बाद टैक्स लायबिलिटी 10,000 रुपये से अधिक है, तो आप एडवांस टैक्स का भुगतान करना होगा.

Tags: Bank FD, Business news in hindi, FD Rates, Fixed deposits, Income tax, Tax planning

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें