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Tax Savings: घर बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स किस हिसाब से लगता है, कैसे बचा सकते हैं पैसा?

 संपत्ति की बिक्री से हुए कैपिटल गैन पर होल्डिंग पीरियड के हिसाब से टैक्स देनदारी बनती है.

संपत्ति की बिक्री से हुए कैपिटल गैन पर होल्डिंग पीरियड के हिसाब से टैक्स देनदारी बनती है.

संपत्ति की बिक्री से हुए कैपिटल गैन पर होल्डिंग पीरियड के हिसाब से टैक्स देनदारी बनती है. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर इनकम ...अधिक पढ़ें

Tax Savings: देश के इनकम टैक्स कानून के मुताबिक अगर आप अपना घर बेच रहे हैं तो आपको टैक्स भी देना पड़ेगा. यह कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में आता है. प्रॉपर्टी के बेचने पर हुए मुनाफे को कैपिटल गेन कहते हैं. इसे संपत्ति को बेचकर हुए मुनाफे में संपत्ति को खरीदने में खर्च की गई राशि व इसके रिपेयर इत्यादि पर खर्च को निकालकर प्राप्त किया जाता है.

संपत्ति की बिक्री से हुए कैपिटल गैन पर होल्डिंग पीरियड के हिसाब से टैक्स देनदारी बनती है. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स चुकाना होता है. इसको ऐसे समझिए कि अगर आप तीन साल (36 महीने) से कम की होल्डिंग पीरियड में प्रॉपर्टी की बिक्री करते हैं तो मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल मानते हुए इस पर टैक्स चुकाना होगा.

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कैसे लगता है टैक्स

दूसरी तरफ, अगर आप संपत्ति के अधिग्रहण के 36 महीने बाद इसकी बिक्री करते हैं तो इस पर मुनाफे पर लांग टर्न कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा. इंडेक्सेशन के बेनेफिट के साथ रीयल एस्टेट पर 3 फीसदी के सेस के साथ 20 फीसदी की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है. ध्यान रहे कि आपको उपहार या उत्तराधिकार में में मिली संपत्ति की बिक्री से भी मुनाफे पर टैक्स चुकाना होगा.

कैसे बचा सकते हैं टैक्स

मान लीजिए आपने प्रॉपर्टी खरीदने के बाद उसमें कोई सुधार या विस्तार कराया था. इस खर्चे की इंडेक्स कॉस्ट निकालते हुए इनकम टैक्स में छूट ली जा सकती है. इससे कैपिटल गेन टैक्स का बोझ कम होगा.  दूसरा तरीका ये होता है कि आप आयकर की धारा 54 के तहत आप लाभ की राशि को दूसरा मकान खरीदने में लगाकर भी टैक्स बचा सकते हैं. यह छूट बिक्री के तीन साल के भीतर दूसरा रेडी टू मूव मकान खरीदने पर मिलेगी.

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इसके अलावा अगर प्रॉपर्टी की बिक्री में कोई खर्च आया हो, तो भी आप कैपिटल गेन टैक्स से बच सकते हैं. जैसे आप प्रॉपर्टी बेचने के लिए दिए गए ब्रोकरेज की छूट ले सकते हैं. इसके अतिरिक्त अगर आपने विज्ञापन, नीलामी, रजिस्ट्री, आदि पर खर्च किया है, तो भी आपको छूट का लाभ मिलेगा.

कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स

आयकर के नियमों के अनुसार ‘कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स’ का इस्तेमाल करके भी आप टैक्स बचा सकते हैं. कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स का इस्तेमाल करके खरीद मूल्य बढ़ा सकते हैं. यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको कम टैक्स देना पड़ेगा.

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