जानिए कौन सा स्लैब है ज्यादा बेहतर
नई दिल्ली. जैसा कि सरकार ने नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) को एक डिफॉल्ट कर व्यवस्था के रूप में प्रस्तावित किया है, करदाताओं को हाउस रेंट अलाउंस (HRA) सहित दावा की गई सभी संभावित कटौतियों का मूल्यांकन करना चाहिए, और फिर टैक्स व्यवस्था को चुनने के बारे में निर्णय लेना चाहिए. बता दें कि इस बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाने के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं. नए टैक्स सिस्टम को बाय-डिफॉल्ट बनाया गया है. इसके अलावा इसमें छूट की लिमिट को 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है. इस बार नई टैक्स प्रणाली में स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी शामिल कर लिया गया है.
वहीं पुराने टैक्स सिस्टम में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. पुरानी टैक्स रिजिम के तहत 2.5 लाख रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री होती थी. हालांकि पुरानी टैक्स रिजिम में स्टैंडर्ड डिडक्शन और अन्य मदों में कई तरह के छूट का प्रावधान है. नई टैक्स रिजिम में ये लाभ नहीं दिए जाते थे. ऐसे में लोगों में इस बात पर चर्चा होने लगी है कि पुराने और नए टैक्स सिस्टम में कौन सा सिस्टम करदाताओं के लिए फायदेमंद है. आइए जानते हैं दोनों टैक्स रिजीम के तहत कितनी राशि पर कितना टैक्स भरना पड़ेगा.
जानिए कौन सा स्लैब है ज्यादा बेहतर
न्यू टैक्स स्लैब बड़ी आबादी के लिए बेहतर विकल्प है. हालांकि एक विश्लेषण से पता चलता है कि नई कर व्यवस्था छोटे करदाताओं को लाभान्वित करेगी जो कर बचत उपकरणों में कोई निवेश करने का इरादा नहीं रखते हैं और जो नकद तरलता की तलाश करते हैं. अगर किसी तरह का कोई निवेश नहीं है फिर तो हर हाल पर लोगों को न्यू टैक्स स्लैब चुनना चाहिए, जिससे कम टैक्स भरना होगा. लेकिन अगर तमाम तरह के डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं, तो फिर पुराना टैक्स स्लैब ही बेहतर साबित हो सकता है.
7 लाख तक की आय वालों को
उदाहरण के लिए, 7 लाख रुपये तक की आय वालों को नई कर व्यवस्था के तहत कोई कर नहीं देना होगा. हालांकि, समान राशि कमाने वालों को पुराने टैक्स सिस्टम में भी कोई कर नहीं देना होगा यदि वे धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये की कर-बचत, 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन और स्वास्थ्य बीमा जैसी कुछ कटौती भी लेते हैं.
अधिक आय वाले करदाताओं के लिए पुराना टैक्स रिजीम है बेहतर
अधिक आय वाले करदाता अभी भी पुरानी कर व्यवस्था से लाभान्वित होंगे. उदाहरण के लिए, 15 लाख रुपये कमाने वाले करदाता की अधिकांश कटौती के बाद 9,65,000 रुपये की कर योग्य आय होगी और नई व्यवस्था में 1,45,600 रुपये की तुलना में पुरानी व्यवस्था के तहत 1,09,720 रुपये का कर चुकाना होगा. इसी तरह, 20 लाख रुपये की कुल आय वालों को पुरानी व्यवस्था से लाभ होगा. हाई टैक्स ब्रैकेट में HRA लाभ लेने वालों को भी पुरानी कर व्यवस्था में अधिक लाभ होगा.
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