नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister of India) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 10 बड़े सरकारी बैंकों (PSU Bank Merger) के विलय को मंजूरी मिल गई है. वित्त मंत्रालय की ओर से 30 अगस्त 2019 को 10 सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा की गई थी. अब इसको लेकर सरकार इसी सप्ताह नोटिफिकेशन जारी कर सकती है. इस विलय के बाद देश में चार बड़े बैंक बन जाएंगे. नए बैंक 1 अप्रैल 2020 से अस्तित्व में आ सकते हैं.
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, मर्जर के बाद बैंकों के नाम भी बदल सकते हैं. हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक कोई भी बयान जारी नहीं हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के मर्जर की घोषणा करते वक्त कहा था कि इस विलय के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या 12 रह जाएगी. साल 2017 में देश में सरकारी बैंकों की संख्या 27 थी. इससे पहले देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हुआ था.
किसका किस बैंक में होगा विलय- पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का विलय होगा. इस विलय के बाद बनने वाला बैंक देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा. नए बैंक के पास करीब 17 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा. केनरा बैंक के साथ सिंडिकेट बैंक का विलय होगा. विलय के बाद यह देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा.
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इस बैंक के पास 15.20 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा. यूनियन बैंक का आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक के साथ विलय होगा. विलय के बाद बनने वाला बैंक देश का पांचवां सबसे बड़ा सरकारी बैंक होगा.
इस बैंक के पास 14.59 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा. इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक विलय के बाद देश का सातवां सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा. इस बैंक के पास 8.08 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा.
अब ग्राहकों को क्या करना होगा- ग्राहकों को नया अकाउंट नंबर और कस्टमर आईडी मिल सकता है. जिन ग्राहकों को नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड मिलेंगे, उन्हें नए डिटेल्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इंश्योरंस कंपनियों, म्यूचुअल फंड, नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) आदि में अपडेट करवाने होंगे. SIP या लोन EMI के लिए ग्राहकों को नया इंस्ट्रक्शन फॉर्म भरना पड़ सकता है.
नई चेकबुक, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड इशू हो सकता है. फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) या रेकरिंग डिपॉजिट (आरडी) पर मिलने वाले ब्याज में कोई बदलाव नहीं होगा.जिन ब्याज दरों पर व्हीकल लोन, होम लोन, पर्सनल लोन आदि लिए गए हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होगा. कुछ शाखाएं बंद हो सकती हैं, इसलिए ग्राहकों को नई शाखाओं में जाना पड़ सकता है. मर्जर के बाद एंटिटी को सभी इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विस (ECS) निर्देशों और पोस्ट डेटेड चेक को क्लीयर करना होगा.
(लक्ष्मण रॉय, इकॉनोमिक पॉलिसी एडिटर, CNBC Awaaz)
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