इन महिलाओं ने एक छोटे आइडिया से शुरू किया खुद का करोबार, अब कर रहीं करोड़ो की कमाई
भाषा Updated: November 17, 2019, 2:10 PM IST

छोटे से आइडिया से महिला उद्यमी कर रही कमाई. (प्रतीकात्मक फोटो)
कई महिलाओं ने अपने एक छोटे से आइडिया से खुद का कारोबार शुरू किया है, जिसके बाद उनकी मोटी कमाई हो रही है. खास बात है कि ये महिलाएं अपने आइडिया से महिला कर्मियों को काम दे रही है.
- भाषा
- Last Updated: November 17, 2019, 2:10 PM IST
नई दिल्ली. रूचि गुप्ता को आचार बनाने का बहुत शौक था और पास पड़ोस तथा रिश्तेदारों के बीच उसके हाथ के बने आचार की बहुत मांग रहती थी. रूचि को इससे थोड़ी बहुत आमदनी भी हो जाती थी लेकिन उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका यह शौक उन्हें एक सफल महिला उद्यमी बना देगा. ‘घर जैसा आचार’ बनाने वाली उनकी कंपनी ‘डिवाइन बाइट्स एंड पिकल्स’ आज एक छोटे उद्योग का रूप ले चुकी है और रूचि गुप्ता ने अपनी इस कंपनी में अधिकतर कामों के लिए महिलाओं को ही रोजगार दिया हुआ है.
बिना एसिड और खतरनाक रसायनों से ही फल और सब्जी का संरक्षण
वह अपने अध्यापन के पेशे को छोड़कर इस क्षेत्र में आयी थीं लेकिन उन्हें आज अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं बल्कि खुशी है. रूचि के महिला उद्यमी बनने की कहानी किसी सपने के सच होने जैसी है. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र और खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग में फल एवं सब्जी प्रसंस्करण एवं संरक्षण कोर्स में दाखिला लेकर बिना एसिड और खतरनाक रसायनों के फल सब्जियों के संरक्षण की विधि सीखी.
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यहां से शुरू हुई उद्यमी बनने की राह
यहीं से रूचि के सपनों के साकार होने की शुरूआत हुई. सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा आयोजित एक मेले में उनकी मुलाकात वालमार्ट इंडिया के अधिकारियों से हुयी और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। बाद में वह वालमार्ट के ‘‘वीमेन एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम’’ (WEP) से जुड़ गयीं.ट्रेड फेयर तक पहुंचते हैं उनके उत्पाद
कार्यक्रम के बारे में रूचि कहती हैं, ‘‘कारोबारी सहयोगियों और संरक्षकों के साथ काम करने से मेरे अंदर एक नया विश्वास पैदा हुआ. जहां पहले मैं अपने समुदाय के लोगों को अपना बनाया आचार बेचती थी वहीं अब मेरे उत्पाद प्रगति मैदान के ट्रेड फेयर तक जा पहुंचे.’’ रूचि इस समय फ्लिपकार्ट को अपना बनाया आचार बेच रही हैं.
एक सवाल के जवाब में वह कहती हैं, ‘‘बाजार में महिला उद्यमियों के लिए काफी संभावनाएं हैं.’’ ऐसी ही कहानी प्रियंका मेहता की है. अपने छोटे घर में सामान को सहेज कर रखने की जद्दोजहद के चलते उन्हें अचानक एक दिन आइडिया आया कि क्यों न होम स्टोरेज उत्पाद बाजार में उतारे जाएं.
ये भी पढ़ें: 10 में से 6 कंपनियों का मार्केट कैप ₹2.4 लाख करोड़ बढ़ा, इस कंपनी को सबसे अधिक फायदा
छोटे से आइडिया से बनी कंपनी
एक छोटा सा विचार आज एक बड़ी कंपनी का रूप ले चुका है और उन्होंने अपने ब्रांड का नाम ‘होम स्ट्रैप’’ रखा है. इंदौर शहर के समीप झलारिया गांव में उनकी वर्कशॉप है जहां काम करने वाली अधिकतर महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर तबके की हैं.
अगले वित्त वर्ष तक 12 करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य
प्रियंका मेहता के कारोबार के विस्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगले वित्त वर्ष के लिए उन्होंने करीब 12 करोड़ रूपये के कुल कारोबार का लक्ष्य पेश किया है. वह अपनी सफलता के सफर में डब्ल्यूईडीपी कार्यक्रम को बहुत बड़े सहायक के तौर पर देखती हैं जिसके चलते उनके सपनों को उड़ान मिली और साथ ही उन्हें मिला एक अनोखा आत्मविश्वास. वह उद्योग जगत को महिलाओं के लिए संभावनाओं से भरपूर देखती हैं.
क्या है बबिता की कहानी
लेकिन ऐसी ही एक उद्यमी बबीता कहती हैं कि महिला उद्यमियों के लिए चुनौतियां भी कम नहीं हैं. अभी भी लोगों की मानसिकता है कि महिला उद्यमी वित्तीय मामलों, मार्केटिंग, आदि विषयों को संभालने में परिपक्व नहीं है.
प्लास्टिक फ्री पैकेजिंग पर जोर
‘निर्मल डिजाइंस प्राइवेट लिमिटेड’ की डायरेक्टर बबीता गुप्ता डब्ल्यूईडीपी के तहत प्रशिक्षण हासिल करने के बाद अब अपने उत्पाद मिंत्रा जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ ही विभिन्न ई कामर्स कंपनियों को सप्लाई कर रही हैं और वह अपने ब्रांड को ग्लोबल स्वरूप देना चाहती हैं. वह प्लास्टिक फ्री पैकेजिंग उपलब्ध करा रही हैं जिसका बाजार काफी उभरता हुआ और संभावनाओं से भरपूर है.
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बिना एसिड और खतरनाक रसायनों से ही फल और सब्जी का संरक्षण
वह अपने अध्यापन के पेशे को छोड़कर इस क्षेत्र में आयी थीं लेकिन उन्हें आज अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं बल्कि खुशी है. रूचि के महिला उद्यमी बनने की कहानी किसी सपने के सच होने जैसी है. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र और खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग में फल एवं सब्जी प्रसंस्करण एवं संरक्षण कोर्स में दाखिला लेकर बिना एसिड और खतरनाक रसायनों के फल सब्जियों के संरक्षण की विधि सीखी.
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यहां से शुरू हुई उद्यमी बनने की राह
यहीं से रूचि के सपनों के साकार होने की शुरूआत हुई. सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा आयोजित एक मेले में उनकी मुलाकात वालमार्ट इंडिया के अधिकारियों से हुयी और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। बाद में वह वालमार्ट के ‘‘वीमेन एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम’’ (WEP) से जुड़ गयीं.
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कार्यक्रम के बारे में रूचि कहती हैं, ‘‘कारोबारी सहयोगियों और संरक्षकों के साथ काम करने से मेरे अंदर एक नया विश्वास पैदा हुआ. जहां पहले मैं अपने समुदाय के लोगों को अपना बनाया आचार बेचती थी वहीं अब मेरे उत्पाद प्रगति मैदान के ट्रेड फेयर तक जा पहुंचे.’’ रूचि इस समय फ्लिपकार्ट को अपना बनाया आचार बेच रही हैं.
एक सवाल के जवाब में वह कहती हैं, ‘‘बाजार में महिला उद्यमियों के लिए काफी संभावनाएं हैं.’’ ऐसी ही कहानी प्रियंका मेहता की है. अपने छोटे घर में सामान को सहेज कर रखने की जद्दोजहद के चलते उन्हें अचानक एक दिन आइडिया आया कि क्यों न होम स्टोरेज उत्पाद बाजार में उतारे जाएं.
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छोटे से आइडिया से बनी कंपनी
एक छोटा सा विचार आज एक बड़ी कंपनी का रूप ले चुका है और उन्होंने अपने ब्रांड का नाम ‘होम स्ट्रैप’’ रखा है. इंदौर शहर के समीप झलारिया गांव में उनकी वर्कशॉप है जहां काम करने वाली अधिकतर महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर तबके की हैं.
अगले वित्त वर्ष तक 12 करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य
प्रियंका मेहता के कारोबार के विस्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगले वित्त वर्ष के लिए उन्होंने करीब 12 करोड़ रूपये के कुल कारोबार का लक्ष्य पेश किया है. वह अपनी सफलता के सफर में डब्ल्यूईडीपी कार्यक्रम को बहुत बड़े सहायक के तौर पर देखती हैं जिसके चलते उनके सपनों को उड़ान मिली और साथ ही उन्हें मिला एक अनोखा आत्मविश्वास. वह उद्योग जगत को महिलाओं के लिए संभावनाओं से भरपूर देखती हैं.
क्या है बबिता की कहानी
लेकिन ऐसी ही एक उद्यमी बबीता कहती हैं कि महिला उद्यमियों के लिए चुनौतियां भी कम नहीं हैं. अभी भी लोगों की मानसिकता है कि महिला उद्यमी वित्तीय मामलों, मार्केटिंग, आदि विषयों को संभालने में परिपक्व नहीं है.
प्लास्टिक फ्री पैकेजिंग पर जोर
‘निर्मल डिजाइंस प्राइवेट लिमिटेड’ की डायरेक्टर बबीता गुप्ता डब्ल्यूईडीपी के तहत प्रशिक्षण हासिल करने के बाद अब अपने उत्पाद मिंत्रा जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ ही विभिन्न ई कामर्स कंपनियों को सप्लाई कर रही हैं और वह अपने ब्रांड को ग्लोबल स्वरूप देना चाहती हैं. वह प्लास्टिक फ्री पैकेजिंग उपलब्ध करा रही हैं जिसका बाजार काफी उभरता हुआ और संभावनाओं से भरपूर है.
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First published: November 17, 2019, 2:06 PM IST
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