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कपड़ा-फुटवियर पर GST Tax बढ़ाने से व्‍यापारी नाराज, कहा- राष्‍ट्रीय आंदोलन करेंगे

कपड़ा एवं फुटवियर संगठनों ने GST टैक्‍स बढ़ाए जाने के फैसले के खिलाफ कैट के बैनर तले राष्ट्रीय आंदोलन करने का निर्णय लिया है. (File Pic)

कपड़ा एवं फुटवियर संगठनों ने GST टैक्‍स बढ़ाए जाने के फैसले के खिलाफ कैट के बैनर तले राष्ट्रीय आंदोलन करने का निर्णय लिया है. (File Pic)

GST Tax increase on Cloth-Footwear : कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि जीएसटी कर ढांचे को सरल और युक ...अधिक पढ़ें

नई दिल्‍ली : समस्त प्रकार के कपड़े एवं फुटवियर (Clothes and footwear) पर जीएससटी (GST) की दर 5% से बढ़ाकर 12% किए जाने से देशभर के व्‍यापारियों में नाराजगी है. देशभर के कपड़ा एवं फुटवियर संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ कैट के बैनर तले राष्ट्रीय आंदोलन करने का निर्णय लिया है. व्‍यापारियों का कहना है कि उल्टे कर ढांचे (इनवर्टेड ड्यूटी) को हटाने/ठीक करने के लिए जीएसटी काउंसिल (GST Council) के निर्णय को लागू करते हुए केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में जारी अधिसूचना अनुचित एवं तर्कहीन है और यह सरकार द्वारा परिकल्पित उल्टे शुल्क को हटाने के मूल उद्देश्य को पूरा नहीं करता है.

कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि जीएसटी कर ढांचे को सरल और युक्तिसंगत बनाने के बजाय जीएसटी परिषद ने इसे बेहद जटिल जीएसटी कानून (GST Law) में तब्दील कर दिया है . तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बताए गए जीएसटी ढांचे को विपरीत बना दिया है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उल्टा कर (इनवर्टेड ड्यूटी) ढांचा पूरी तरह से सही है? सूती कपड़ा उद्योग में कोई उलटा कर ढांचा नहीं था, फिर कपड़े और अन्य सूती वस्त्र सामान को 12% के दायरे में क्यों लाया गया. यहां तक कि मानव निर्मित कपड़ा उद्योग में भी वस्त्र, साड़ी और सभी प्रकार के मेड अप के निर्माण के स्तर पर कोई उल्टा कर मुद्दा ही नहीं था. कपड़ा उद्योग के चरणों को समझे बिना इस तरह का कठोर निर्णय एक प्रतिघाटी का कदम होगा.

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उनका कहना है कि कैट ने इसके खिलाफ देशभर में एक बड़ा आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है. दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल एसोसिएशन (फोस्टा) द्वारा किया जाएगा. इसमें टेक्सटाइल और फुटवियर के अलावा सभी तरह के व्यापार के व्यापारिक संगठन, उनसे जुड़े कर्मचारी, कारीगर भी शामिल होंगे.

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वहीं, कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बृजमोहन अग्रवाल एवं राष्ट्रीय मंत्री सुमित अग्रवाल ने कहा कि रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की मूलभूत वस्तुएं है . रोटी पहले ही बहुत महंगी हो गई, मकान खरीदने की स्थिति आम आदमी की है नहीं और कपड़ा जो सुलभ था, उसको भी जीएसटी काउंसिल ने महंगा कर दिया है. इस मामले में केवल केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी पूर्ण रूप से दोषी है, क्योंकि जीएसटी काउंसिल में यह निर्णय सर्वसम्मति से हुए हैं. उन्होंने मांग की कि कपड़ा एवं फुटवियर पर जीएसटी के बढ़ी दर को तुरंत वापस लिया जाए.

Tags: CAIT, Gst

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