नई दिल्ली. किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के तहत 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद बुलाया है. वहीं दूसरी ओर देश के सबसे बड़े व्यापारी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और ट्रांसपोर्ट सेक्टर के बड़े संगठन आल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) का कहना है कि की देश का व्यापारी और ट्रांसपोर्ट 8 दिसंबर को हो रहे भारत बंद (Bharat Band) में शामिल नहीं है. कल दिल्ली समेत देशभर के बाज़ार पूरी तरह से खुले रहेंगे. व्यापारी दुकानों पर अपना माल बेचेंगे और ट्रांसपोर्ट की गाड़ियां भी चलेंगी. यह कहना है कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का. वहीं ऐटवा के राष्ट्रीय चैयरमैन प्रदीप सिंघल और अध्यक्ष महेंद्र आर्य ने भी यह ऐलान किया है.
कैट और ऐटवा ने कहा, किसानों ने हमसे कोई समर्थन नहीं मांगा है
कैट और ऐटवा के पदाधिकारियों का आज दिल्ली में जारी एक संयुक्त बयान में कहना है कि भारत बंद को लेकर किसी भी किसान संगठन अथवा किसान आंदोलन के नेताओं ने कैट या ऐटवा से अपने आंदोलन और भारत बंद के लिए कोई संपर्क नहीं किया है. और न हमसे कोई समर्थन मांगा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली और देशभर के व्यापारियों समेत सभी ट्रांसपोर्टर्स कल भारत बंद में शामिल नहीं होंगे.
वहीं कैट के बीसी भरतिया और प्रवीन खंडेलवाल, ऐटवा के प्रदीप सिंघल और महेंद्र आर्य ने कहा कि जब किसान नेताओं की सरकार के साथ बातचीत का दौर चल रहा है तो ऐसे में किसी भी बंद का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कहा की देश के व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों की सहानुभूति किसानों के साथ है, क्योंकि वो व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों की तरह ही देश की अर्थव्यवस्था का बेहद महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग हैं. लेकिन हमें भरोसा है कि सरकार और किसान नेताओं के बीच चल रही बातचीत का नतीजा ज़रूर निकलेगा.
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कैट-ऐटवा के नाम सोशल मीडिया पर आई बंद की अपील झूठी
कैट के प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि कैट और ऐटवा को पता चला है कि विभिन्न राज्यों में बंद का समर्थन करने के लिए कैट और ऐटवा दोनों के नाम से सोशल मीडिया के जरिये बंद के समर्थन का प्रचार किया जा रहा है. यह पूरी तरह भ्रामक और शरारतपूर्ण काम है. हम अपने सभी किसान भाइयों के साथ सहानुभूति रखते हैं और चाहते हैं कि वर्तमान में चल रहे विवाद का जल्द से जल्द अंत हो.
साथ ही कैट-ऐटवा ने किसानों को आगाह करते हुए कहा है कि कुछ असामाजिक तत्व उनके आंदोलन की पवित्रता को अपने निहित स्वार्थों के कारण भंग कर सकते हैं और किसान एवं सरकार के बीच खाई बना सकते हैं. जिस पर न केवल किसानों को बल्कि सरकार को भी ध्यान रखना होगा.undefined
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FIRST PUBLISHED : December 07, 2020, 12:38 IST