भाप के इंजन से लेकर बुलेट ट्रेन तक रेल ने अविष्कार के कई दौर देखे.
नई दिल्ली. बचपन से हम अक्सर स्कूली किताबों में पढ़ते आए हैं कि जेम्स वाट ने भाप का इंजन बनाकर रेलवे की दुनिया में क्रांति ला दी थी. इसके साथ ही यूरोप समेत दुनिया के तमाम देशों में रेल पटरियों पर दौड़ने लगी. कहा जाता है कि रेल का आविष्कारण मानव सभ्यता में हुए आविष्कारों में सबसे अहम है. 18वीं और 19वीं शताब्दी तक ट्रेन के इंजनों और कोच में कई सुधार हुए और देखते ही देखते ट्रेनें बिल्कुल बदल गईं.
भाप इंजन की रेल से लेकर बुलेट ट्रेन के बीच इस सफर में कई पड़ाव व बदलाव देखने को मिले. एक जमाना था भारी भरकम ट्रेनें 20 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलती थीं और आज 300 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से हवा में बाते करती हैं. ट्विटर पर वायरल एक वीडियो में बदलते वक्त के साथ ट्रेन के अपटेडेट वर्जन का वीडियो वायरल हो रहा है.
Evolution of the train pic.twitter.com/VCNM4ucFri
— Evolution Of Life (@EvoIutlon) February 17, 2023
कभी घोड़े खींचते थे ट्रेन
परिवहन के रूप में पहली बार जब ट्रेन का इस्तेमाल जब किया गया था तब इसे इंसान या घोड़े खींचते थे लेकिन लोकोमोटिव पेश किए जाने के ट्रेनों की तस्वीर बदलने लगी. मैकेनिकल इंजीनियर जेम्स वाट ने 1781 में अपने वाट स्टीम इंजन के साथ उद्योग में क्रांति ला दी. अगले कुछ वर्षों में भाप इंजन में सुधार किया गया और रेल का नेटवर्क यूरोप के साथ-साथ पूरी दुनिया में फैल गया. अंग्रेजी आविष्कारक मैथ्यू मरे ने 1804 में पहला चलने वाला स्टीम लोकोमोटिव बनाया.
भाप इंजन से लेकर बुलेट ट्रेन का जमाना
कुछ साल बाद, मैथ्यू मूरे ने ट्विन-सिलेंडर, सलामांका लोकोमोटिव का आविष्कार किया, जिसका सार्वजनिक रूप से 1812 में इंग्लैंड में पहली कमर्शियल यूज किया गया था. दुनिया के अन्य देशों के साथ-साथ भारतीय रेलवे ने भी काफी तरक्की की और इसी का नतीजा है कि देश में वंदे भारत जैसी हाई स्पीड ट्रेनें चलना शुरू हो गई है और बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है.
रेलवे के दस्तावेज के अनुसार, भारत में 16 अप्रैल 1853 को मुम्बई और ठाणे के बीच पहली बार रेल चली थी. आज भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. भारत में ट्रेनों के इंजन से लेकर कोच सब कुछ बदलते वक्त के साथ-साथ हाईटेक होते जा रहे हैं. शहरों में भी मेट्रो ट्रेन चलाई जा रही है.
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