ट्रेन में कंफर्म बर्थ होने के बावजूद बैठने को लेकर बड़ा कंफ्यूजन रहता है.
फेस्टिव सीजन में बिहार-यूपी की ट्रेनों में सफर करना बड़ा मुश्किम काम है. भीड़ की वजह से स्लीपर ही नहीं और थर्ड एसी कोच में तमाम लोग RAC और वेटिंग टिकट पर यात्रा करते मिल जाते हैं. ऐसे में जिनका टिकट कंफर्म होता है उनको परेशानी होती है. ऐसा ही एक मामला है कंफर्म अपर बर्थ वाला पैसेंजर कहां बैठेगा, जब नीचे की सीट पर दो RAC टिकट वाले लोग हों. इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमने टिकट और सीटिंग से जुड़े रेलवे के कई नियम खंगाले. दरअसल, भारतीय रेलवे ने कंफर्म टिकट वाले यात्रियों को परेशानी न हो, इसके लिए कई नियम बनाए हैं. स्लीपर और थर्ड एसी क्लास में ट्रेन के एक कंपार्टमेंट में आठ सीटें होती हैं. इसमें से तीन-तीन सीटें आमने-सामने और दो सीटें साइड में होती है. रेलवे का नियम है कि इन सभी आठ सीटों के वाले आठों यात्री बैठने के वक्त नीचे की सीट पर बैठेंगे.
इसके लिए बकायदा टाइम तय किया गया है. उत्तर रेलवे की टिकट संबंधी नियमावली के अनुसार रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक का समय सोने के लिए तय किया गया है. इसके मुताबिक नीचे वाली बर्थ पर बैठे सभी यात्री इस दौरान अपनी बर्थ पर सोएंगे. यानी नीचे वाली बर्थ पर इस दौरान उक्त पैसेंजर की अनुमति के बिना कोई नहीं बैठेगा. इस तरह सुबह 6 बजे से रात 10 बजे का समय एक हिसाब से बैठने के लिए तय किया गया है. हालांकि रेलवे ने इस नियम को लचीला रखा है और यह काफी हद तक आपसी सद्भाव पर छोड़ दिया गया है. इसमें कहा गया है कि अगर कोई पैसेंजर मरीज है या उसको कोई तकलीफ है तो अपने हिसाब से अपनी बर्थ पर लेट सकता है, भले ही वह समय दिन का ही क्यों न हो.
चेयर में सीट कंवर्ट करने पर होती है और दिक्कत
यहां तक तो चीजें ठीक है. सबसे बड़ी दिक्कत तब होती है जब किसी पैसेंजर का कंफर्म बर्थ साइड अपर का है और उसके नीचे वाली बर्थ पर रेलवे ने दो लोगों को RAC टिकट एलॉट कर रखा है. ऐसी स्थिति में नीचे की बर्थ पर बैठने के लिए बहुत कम जगह बचती है. जिन दो लोगों को RAC दिया गया है वो पहले से ही बैठे रहते हैं. ऐसे में तीसरे व्यक्ति के लिए उस सीट पर बैठना कंफर्टेबल नहीं होता. यहां भी नियम यही है कि सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक अगर ऊपर वाली बर्थ का पैसेंजर नीचे बैठना चाहे तो वह नीचे वाली सीट पर बैठ सकता है, लेकिन नीचे की सीट पर दो लोगों के RAC टिकट होने पर टिक्कत आने लगती है. आपको लगेगा कि ये कौन सी बड़ी बात है. बीच में बैठ लेगा इंसान. लेकिन दोनों आरएसी वाले पैसेंजर अपनी सीट को चेयर में कंवर्ट कर लें तो बीच में भी बैठने की जगह खत्म रह जाती है.
इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे ने कोई नियम जारी नहीं किए हैं. ऐसी समस्या आने पर अपेक्षा की जाती है कि यात्री सद्भाव का परिचय दें और वे आपस में एडजस्ट करें. वैसे साइड अपर बर्थ पर एक औसत इंसान को बैठने में दिक्कत नहीं होती है क्योंकि उसकी हाइट अपेक्षाकृत ज्यादा होती है.
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Tags: Indian railway, Irctc, Train ticket
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