गडकरी बोले- देश में मैन्युफैक्चरिंग हो सकने वाले प्रोडक्ट्स के लिए रिसर्च की जरूरत

नितिन गडकरी की फाइल फोटो. (फोटो क्रेडिट-PTI)
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि ऐसे प्रोडक्ट्स की पहचान के लिए और रिसर्च करने की जरूरत है, जिनका मैन्युफैक्चरिंग देश में हो सकता है.
- Last Updated: January 16, 2021, 8:19 PM IST
औरंगाबाद. केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (MSME) मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि ऐसे प्रोडक्ट्स की पहचान के लिए और रिसर्च करने की जरूरत है, जिनका मैन्युफैक्चरिंग देश में हो सकता है. उन्होंने कहा ये प्रोडक्ट आयात का कॉस्ट इफेक्टिव विकल्प हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि उद्योगों तथा उद्योग संघों को इन विकल्पों की पहचान के लिए और शोध करने की जरूरत है, ताकि आयात पर अंकुश लगाया जा सके. गडकरी ने शुक्रवार को एक वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कलपुर्जों का आयात करने के बजाय उद्योग को वेंडरों को उनके देश में बने विकल्प को तलाशने में मदद करनी चाहिए.
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मराठा एक्सिलेरेटर फॉर ग्रोथ एंड इन्क्यूबेशन काउंसिल (मैजिक) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि उद्योग को अपने वेंडरों का समर्थन और मदद करनी चाहिए, जिससे वे सभी कलपुर्जों का उत्पादन देश में ही कर सकें.
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उन्होंने कहा कि शुरुआत में वैकल्पिक कलपुर्जे का दाम 10 से 20 प्रतिशत अधिक हो सकता है, लेकिन जब इनका उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगेगा तो ये सस्ते दाम पर उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जब हम आयात का घरेलू विकल्प तलाश करें। यह लागत-दक्ष और प्रदूषण-मुक्त भी होगा.
उन्होंने कहा कि उद्योगों तथा उद्योग संघों को इन विकल्पों की पहचान के लिए और शोध करने की जरूरत है, ताकि आयात पर अंकुश लगाया जा सके. गडकरी ने शुक्रवार को एक वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कलपुर्जों का आयात करने के बजाय उद्योग को वेंडरों को उनके देश में बने विकल्प को तलाशने में मदद करनी चाहिए.
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मराठा एक्सिलेरेटर फॉर ग्रोथ एंड इन्क्यूबेशन काउंसिल (मैजिक) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि उद्योग को अपने वेंडरों का समर्थन और मदद करनी चाहिए, जिससे वे सभी कलपुर्जों का उत्पादन देश में ही कर सकें.
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उन्होंने कहा कि शुरुआत में वैकल्पिक कलपुर्जे का दाम 10 से 20 प्रतिशत अधिक हो सकता है, लेकिन जब इनका उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगेगा तो ये सस्ते दाम पर उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जब हम आयात का घरेलू विकल्प तलाश करें। यह लागत-दक्ष और प्रदूषण-मुक्त भी होगा.