सिबिल स्कोर लोन दिलाने में अहम योगदान देता है. (न्यूज18)
नई दिल्ली. सिबिल स्कोर को क्रेडिट स्कोर भी कहा जाता है. यह बताता है कि आपने बैंकों से कर्ज लेकर उसका भुगतान किस तरह किया. भुगतान समय पर किया गया या नहीं इससे आपका सिबिल स्कोर या क्रेडिट रेटिंग तय होती है. खराब सिबिल स्कोर का मतलब है कि आपने कर्ज का भुगतान या तो किया ही नहीं या फिर सही समय पर नहीं किया. इसके कई नुकसान हैं जिस पर हम आगे बात करेंगे.
सिबिल (cibil) का फुल फॉर्म क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड है. यही आपका क्रेडिट स्कोर कैलकुलेट और मैंटेन करती है. इससे बैंक को पता चलता है कि आपका अपनी वित्तीय स्थिति पर कितना नियंत्रण है और आपकी वित्तीय स्थिति वाकई कैसी है. सिबिल स्कोप 3 डिजिट में होता है. इसकी शुरुआत 300 से होती है और ये 900 तक जाता है.
क्या होता है अच्छा सिबिल स्कोर
750-900 के सिबिल स्कोर को एक्सीलेंट की श्रेणी में रखा जाता है. इसके बाद 650-750 की श्रेणी का सिबिल स्कोर गुड यानी अच्छे की श्रेणी में आता है. 550-650 तक का सिबिल स्कोर एवरेज या औसत कैटेगरी में आता है और अंत में 300-500 का सिबिल स्कोर खराब की श्रेणी में आता है. आपका सिबिल स्कोर जितना अच्छा होगा आपको उतनी सस्ती दर पर और जल्दी लोन मिल जाएगा. अगर यह खराब है तो लोन लेने में आपको काफी परेशानी आएगी.
कैसे गणना होती है सिबिल स्कोर की
सिबिल स्कोर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर बनाया जाता है. जिस भी शख्स का सिबिल स्कोर तैयार किया जाता है उसकी पिछले 36 महीने की क्रेडिट हिस्ट्री देखी जाती है. इसमें हर तरह के लोन, क्रेडिट कार्ड का खर्च, ओवर ड्राफ्ट फैसिलिटी का इस्तेमाल आदि शामिल किए जाते हैं. इसमें देखा जाता है आपने खर्च किस तरह किया है और उसका भुगतान कैसे किया है.
कैसे चेक करें सिबिल स्कोर
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