Market Update: शेयर बाजार के लिए यह हफ्ता हाहाकारी साबित हुआ है. बीते लगातार चार कारोबारी सत्रों में घरेलू बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली. इस दौरान सेंसेक्स 2,271.7 अंक गिरकर 3.7 फीसदी और निफ्टी 691 अंक यानी 3.8 फीसदी टूट गया. इस दौरान निवेशकों के कुल 10.4 लाख करोड़ रुपये डूब गए. वहीं निफ्टी मिडकैप, स्माल कैप सहित सभी इंडेक्स में गिरावट बनी हुई थी.
वहीं, निफ्टी 700 प्लाइंट नीचे चला गया. मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक, कमजोर रुपया और भारतीय बाजारों से पैसा निकालने वाले एफआईआई, ट्रेंड रिवर्सल के लिए प्रमुख कारण रहे. साथ ही कॉरपोरेट प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे.
बाजार की इस बिकवाली में निवेशकों की वेल्थ में 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की कमी देखने को मिली. इस दौरान इंडिया विक्स 7.8 फीसदी बढ़ा. मार्केट एक्सपर्ट ने कहा कि नैस्डैक के टेक हैवीवेट्स में गिरावट के साथ अमेरिकी बाजारों में लगातार पांचवें दिन कमजोरी बनी हुई है. इसका असर भारत के टेक सेक्टर पर भी दिख रहा है. आइए बाजार में आई इस गिरावट के प्रमुख कारणों पर नजर डालते हैं.
1- विदेशों निवेशकों की बिकवाली
फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स लगातार बिकवाल बने हुए हैं. 20 जनवरी 2022 तक, FII 12,415.14 करोड़ रुपए के शुद्ध विक्रेता बने रहे, जबकि उन्होंने 21 जनवरी 2022 को 4,500 करोड़ रुपए से अधिक की बिकवाली की. इन FII में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भी शामिल हैं. विदेशी निवेशक ग्लोबल बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के बीच महंगे बाजारों से निकल रहे हैं और जापान व यूरोप जैसे आकर्षक वैल्यू वाले बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं. कुल मिलाकर फॉरेन इनवेस्टर्स अक्टूबर से अभी तक 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली कर चुके हैं.
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2- ग्लोबल मार्केट
अमेरिकी बाजारों में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर दिख रहा है, जहां लगातार पांचवें दिन गुरुवार को कमजोरी रही. यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद में ग्लोबल बॉन्ड यील्ड में उछाल के चलते इनवेस्टर जोखिम लेने से बच रहे हैं. अपने पोर्टफोलियो में कम रिस्की असेट्स शामिल कर रहे हैं.
3- Rupee vs dollar
पिछले एक पखवाड़े में, भारतीय रुपया 74 के स्तर से गिरकर लगभग 74.50 के स्तर पर आ गया है. यह भी एफआईआई द्वारा भारतीय बाजारों से पैसा निकालने का एक मुख्य कारण है. गिरते बाजार में डॉलर के संदर्भ में उनकी वापसी से भारी गिरावट नजर आ रही है.
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4- कंपनियों का कमजोर प्रदर्शन
दिसंबर में समाप्त तिमाही में भारतीय कंपनियों की अर्निंग से अभी तक उनके ऑपरेटिंग मार्जिन पर भारी दबाव के संकेत मिले हैं. इसका असर उनकी प्रॉफिटेबिलिटी पर पड़ रहा है. हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी कंपनियों की इनीशियल कमेंट्री से रूरल इकोनॉमी पर दबाव के संकेत मिले हैं, वहीं बजाज फाइनेंस ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि शहरी क्षेत्रों के लो इनकम वाले कंज्यूमर भी महामारी से प्रभावित हुए हैं.
5- वित्तीय स्थिति
न सिर्फ अमेरिका, बल्कि भारत में वित्तीय स्थिति खराब हो रही है. इसके चलते रिजर्व बैंक (आरबीआई) धीरे-धीरे लिक्विडिटी के नॉर्मलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है. कॉल मनी रेट 4.55 फीसदी की ऊंचाई पर पहुंच गया, जो पिछले महीने 3.25-3.50 फीसदी के स्तर पर था. कॉल मनी रेट, वह रेट है जिस पर बैंक ओवरनाइट कर्ज लेते हैं. कॉल रेट में उछाल के साथ ही ट्राई पार्टी रेपो डीलिंग और सेटलमेंट भी 4.24 के स्तर पर पहुंच गया, जो दिसंबर के अंत तक लगभग 3.5 फीसदी था.
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