अंतरिम वित्तमंत्री पीयूष गोयल की फाइल फोटो
मोदी सरकार के कार्यकाल का आखिरी बजट 1 फरवरी 2019 को पेश होगा. आम चुनाव 2019 से पहले पेश हो रहे अंतरिम बजट पर पूरे देश की नज़र है. परंपरा के तौर पर आम चुनाव से पहले पेश होने वाले बजट में बड़े ऐलान नहीं होते हैं. इसमें नई सरकार के आने तक खर्च चलाने जितनी रकम के लिए संसद की मंजूरी ली जाती है. हालांकि, अगले 3-4 महीने में आम चुनाव होने हैं. ऐसे में लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या इस बार परंपरा तोड़ कर मोदी सरकार लोक-लुभावन बजट पेश करेगी.
जिस साल लोकसभा चुनाव होते हैं, उससे पहले मौजूदा सरकार नियमित बजट पेश करने के बजाय अंतरिम बजट पेश करती है. इसमें अलग से अनुदान की मांगों के लिए संसद की मंजूरी लेने के बजाय 'वोट ऑन अकाउंट' के जरिए महज कुछ महीने (अप्रैल-जून) के लिए संचित निधि से धनराशि निकालती है. जानकारों के मुताबिक, चुनाव के मद्देनज़र वित्त मंत्री इस बार अंतरिम बजट में कोई बड़ा ऐलान जरूर करेंगे.
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हालांकि, ये ऐलान ऐसा नहीं होंगे कि इसे सीधे तौर पर वोट बैंक को खुश करने के तौर पर देखा जाए, मोदी सरकार यही चाहेगी कि अंतरिम बजट में होने वाले घोषणाएं आर्थिक सुधार के रूप में हो. 1 फरवरी को वित्त मंत्री डायरेक्ट टैक्स रिपोर्ट (प्रत्यक्ष कर रिपोर्ट) भी पेश करेगी. वहीं, माना जा सरकार इस अंतरिम बजट में टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए जा सकते हैं.
इसके अलावा, पेंशनरों और किसानों को लेकर भी कुछ बड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं. एक उम्मीद यह भी है कि होम लोन को लेकर सरकार कुछ रियायत का ऐलान करे. मिडिल क्लास या नौकरी पेशा वर्ग को मोदी सरकार के इस आखिरी बजट से काफी उम्मीदें होंगी. विपक्ष ने बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को लगातार घेरा है. संभव है कि सरकार युवाओं को लुभाने के लिए बजट में किसी ठोस नीति का ऐलान करे. ऐसा ना करके सरकार वोट बैंक खोना नहीं चाहेगी.
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