बीएचयू में अपनी नियुक्ति के विरोध में चल रहे छात्रों प्रदर्शन से डॉ फिरोज खान बेहद आहत हैं. (फाइल फोटो)
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी संस्था संस्कृत भारती ने शुक्रवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में सहायक प्रोफेसर फिरोज खान का समर्थन करते हुए सवाल किया कि मुसलमान के संस्कृत पढ़ाने में गलत क्या है?
आरएसएस का छात्र मोर्चा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ‘संस्कृत विद्या धर्म संकाय’ में प्रोफेसर खान की नियुक्ति का विरोध कर रहा है. हालांकि बीएचयू ने खान का समर्थन किया है, लेकिन वह अभी तक कोई कक्षा नहीं ले सके हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विश्वविद्यालय में सिर्फ एक हिन्दू ही संस्कृत पढ़ा सकता है.
यह रेखांकित करते हुए कि संस्कृत भारती पूरी दुनिया को संस्कृत भाषा सीखाने में जुटी है, और अरब देशों में भी सक्रिय है, संगठन ने कहा कि उसके साथ जुड़े लोग ‘पाठयेम संस्कृतं जगति सर्व मानवान’ : दुनिया के सभी मानवों को संस्कृत की शिक्षा देनी है:.’’
उसने एक बयान में कहा, ‘‘डॉक्टर फिरोज खान उन हजारों लोगों में से हैं जिन्हें हमने प्रशिक्षित किया है.’’
छात्रों से उनकी नियुक्ति का विरोध नहीं करने का अनुरोध करते हुए संस्कृत भारती ने अपने बयान में कहा, ‘‘एक मुसलमान के साहित्य पढ़ाने में क्या गलत है?’’
संगठन ने फिरोज खान से अनुरोध किया है कि वह ‘‘निडर होकर विश्वविद्यालय को अपना योगदान दें.’’ प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने शुक्रवार को अपना धरना समाप्त कर दिया. (इनपुट-भाषा)
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