जारी कर दिया. 12वीं के बाद जहां स्टूडेंट्स कॉलेज में एडमिशन की तैयारी के लिए अपनी पसंदीदा कॉलेज की तलाश में रहते हैं, वहीं दसवीं कक्षा के बाद
के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के इच्छुक स्टूडेंट्स सीधे देश की कोचिंग सिटी कोटा की ओर रुख करते हैं.
शिक्षा नगरी कोटा में अभी करीब 1.40 लाख बच्चे कोचिंग सेंटर्स से जुड़े हुए हैं. पिछले कुछ समय से इनमें प्रतिवर्ष औसतन 10 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है. इस बार भी यह बढ़ोतरी इतनी ही रहने का अनुमान है. कोटा में वर्तमान में इंजीनियरिंग और मेडिकल के दस बड़े और करीब 50 छोटे कोचिंग सेंटर्स हैं. इनमें देश के कोने-कोने से स्टूडेंट्स अपना करियर बनाने के लिए यहां आते हैं.
यहां आने वाले छात्रों का उद्देश्य मेडिकल की NEET और AIIMS तथा इंजीनियरिंग की जेईई मेन्स एव जेईई एडवांस जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं की तैयारी करना होता है. मेडिकल और इंजीनियरिंग से जुड़े छात्रों का यहां अनुपात करीब 40-60 फीसदी है. यहां अध्ययनरत स्टूडेंट्स में से 60 फीसदी जहां इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए आते हैं, वहीं 40 फीसदी मेडिकल में अपना भविष्य खोजते हैं.
अभी कोटा में राजस्थान के अलावा बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा, दिल्ली, जम्मू एंड कश्मीर के बच्चों की तादाद बढ़ रही है. सीबीएसई के परीक्षा परिणामों के साथ ही कोचिंग सेंटर्स में एडमिशन की हलचलें शुरू हो चुकी है. मेडिकल और इंजीनियरिंग के कोचिंग सेंटर में प्रवेश के स्टूडेंट्स को प्री-टेस्ट की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. उसके बाद ही कोचिंग सेंटर्स स्टूडेंट्स को प्रवेश देते हैं.
शिक्षा नगरी कोटा में विभिन्न कोचिंग सेंटर्स से जुड़े लोगों का मनाना है कि यह कोई बहुत बड़ा टास्क नहीं है. लगभग सभी कोचिंग सेंटर्स को अपनी एंट्रेस टेस्ट पेपर सीबीएसई और आरबीएसई समेत विभन्न बोर्डों में चलने वाले मैथ्स एवं साइंस के कॉमन पाठ्यक्रमों पर आधारित होता है. इसका मकसद स्टूडेंट्स का महज सामान्य बोदि्धक स्तर को परखना होता है. इसका स्टूडेंट्स के दसवीं प्रतिशत से कोई लेना-देना नहीं है. लिहाजा कोई स्टू्डेंट्स अपने कम प्रतिशत देखकर मायूस ना हों.
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FIRST PUBLISHED : May 06, 2019, 15:24 IST