क्या आपको नौकरी चाहिए? क्या आप किसी कंपनी में कमर्शियल ड्राइवर बनना चाहते हैं? अगर ऐसा है तो आपको 30 दिन की ट्रेनिंग और पढ़ाई के बाद ही नौकरी मिल सकती है. छिंदवाड़ा में अशोक लेलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर है, जहां से हर साल हजारों छात्र पढ़ाई करते हैं और कोर्स खत्म होने पर उनका प्लेसमेंट रिजस्ट 100% रहता है.
अशोक लेलैंड इंस्टीट्यूट छिंदवाड़ा के प्रिंसिपल संजय टाकोने कहते हैं कि देश में करीब 22 लाख प्रशिक्षित ड्राइवर्स की कमी है. हमारे यहां हर साल करीब 6000 स्टूडेंट्स निकलते हैं और लगभग सभी को नौकरी मिल जाती है. इनमें से करीब 20% नौकरी तो सरकारी डिपार्टमेंट मसलन, पुलिस, CRPF, मेडिकल वैन, ऑर्निनेंस फैक्ट्री में मिलती है. इसके अलावा प्राइवेट कंपिनयों में भी ड्राइवर्स की डिमांड है.
प्रिंसिपल संजय टाकोने बताते हैं कि कोर्स बेहद छोटा है. लाइट व्हीकल के लिए 30 की पढ़ाई और हैवी व्हीकल के लिए 50 दिन की पढ़ाई करनी होगी. इंस्टीट्यूट में स्टूडेंस को थ्योरी के साथ ही प्रैक्टिकल कराया जाता है. हर मौसम, हर परिस्थिति के हिसाब से ड्राइविंग उन्हें सिखाई जाती है. इसके साथ ही उन्हें मशीनरी की बेसिक जानकारी भी दी जाती है. वो कहते हैं कि फरवरी 2015 में ये इंस्टीट्यूट शुरू हुआ था और तब से अब तक करीब 15 हजार बच्चे यहां पढ़कर नौकरी पा चुके हैं. सैलरी की रेंज छह हजार से लेकर 30 हजार तक होती है. उन्होंने कहा कि देश में 9 इंस्टीट्यूट हैं और कोई बच्चा कहीं भी एडमीशन ले सकता है.
अशोक लेलैंड के देशभर में 9 ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट हैं. यह सभी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राज्यमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं. नमक्कल (तमिलनाडु), बुराड़ी (दिल्ली), छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश), कैथल (हरियाणा), भुवनेश्वनर (ओड़िशा), रेलमगरा (राजस्थान), धारवाड़ (बंगलुरू), येलाहंका (बंगलुरू) और वडोदरा (गुजरात)
शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह के कोर्स यहां होते हैं. छात्रों को प्रैक्टिकल भी कराया जाता है और बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है. इसके अलावा कोर्स पूरा होने पर प्लेसमेंट दिया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2019, 12:59 IST