आईएएस अफसर कंचन वर्मा.
Success Story: न्यूज़18 हिंदी पर आप हर दिन एक हस्ती की कामयाबी की दास्तां से रूबरू होते हैं. कामयाब हो चुकी शख्सियतों के संघर्ष की कहानियां हमें फिर से मेहनत और सब्र पर यकीन करने की वजह देती हैं. कामयाब होने से पहले हर शख्स, बुलंदी को छूने के लिए जी-तोड़ मेहनत करता है. लेकिन मुकाम हासिल होने के बाद भी हर कोई उतनी ही शिद्दत से मेहनत करे ये ज़रूरी नहीं. आज की कहानी एक ऐसी आईएएस अफसर की जिसने कामयाब होने से पहले तो बेशक! मेहनत की ही, लेकिन उन्होंने मुकाम हासिल करने के बाद अपने काम/जिम्मेदारी को बेहद मेहनत और ईमानदारी से पूरा किया. मिलिए उसी आईएएस अफसर कंचन वर्मा से. कंचन के काम की सराहना आम शख्स से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक ने की.
कंचन वर्मा 2005 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं. बतौर IAS वे यूपी के भदोही, फतेहपुर, मिर्ज़ापुर सहित कई जिलों में जिलाधिकारी रह चुकी हैं. उनकी पोस्टिंग जहां भी हुई, उन्होंने वहां पूरे दिल-जान से काम किया. हर प्रोजेक्ट में अपना बेस्ट देकर नाम कमाया. लेकिन 2012 में फतेहपुर की सूखी नदी को पुनर्जीवित करना उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ.
लगभग लुप्त हो चुकी नदी को किया पुनर्जीवित
2012 में कंचन को फतेहपुर के डीएम का पद सौंपा गया था. जिलाधिकारी के तौर पर उन्होंने लगभग लुप्त हो चुकी 'ससुर खेडरी नदी' और 'ठिठोला झील' को पुनर्जीवित किया. इसके लिए उन्होंने 23 करोड़ की योजना पास करवाई. नदी पुनर्जीवितहोने के साथ स्थानीय मजदूरों को भी काम मिला. 7 हेक्टेयर में फैली नदी पर लोग खेती करने लगे थे. कंचन की मेहनत का नतीजा यह निकला की नदी फिर से बहने लगी.
बच्चों को मैथ्स-अंग्रेजी पढ़ाने जाती थीं
इसी तरह उन्होंने मिर्जापुर का डीएम बन वहां की शिक्षा व्यवस्था को सुधारा. वे विद्यालयों का निरिक्षण कर, शिक्षिका बन खुद बच्चों को मैथ्स-अंग्रेजी पढ़ाने जाती थीं. निरिक्षण के दौरान उन्होंने 350 शिक्षकों के खिलाफ रिपोर्ट पेश की थी. विभागीय जिम्मेदारी के अलग दर्जनों गावों को खुले में शौच से मुक्त करवाया. उन्होंने ईंट भट्ठों पर शौचालय बनाने के बाद भी उन्हें एनओसी देने का प्रावधान किया. सुखी झील व नदी को फिर से ज़िंदा करने के लिए उन्हें 2016 में कॉमनवेल्थ असोसिएशन एंड मैनेजमेंट इंटरनेशनल इनोवेशंस आवर्ड मिला. सिविल सर्विस डे के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें पुरस्कार दिया.
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