Success story: कॉर्पोरेट जगत की नौकरी छोड़कर शुरू की फूलों की खेती, हो रही लाखों की कमाई

Success story: यूपी के इटावा से ताल्लुक रखने वाले शख्स रवि पाल ने MBA करके एलएनटी और कोटेक महिन्द्रा जैसी कंपनी में लाखों का पैकेज छोड़कर किसान बनने का फैसला किया
Success story: यूपी के इटावा से ताल्लुक रखने वाले शख्स रवि पाल ने MBA करके एलएनटी और कोटेक महिन्द्रा जैसी कंपनी में लाखों का पैकेज छोड़कर किसान बनने का फैसला किया
- News18Hindi
- Last Updated: September 9, 2019, 11:10 AM IST
अगर कुछ अलग करने का जुनून हो तो मुश्किल कितनी भी आए, लेकिन रास्ता निकल ही जाता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है यूपी के इटावा से ताल्लुक रखने वाले शख्स रवि पाल ने... कुछ हटकर करने की चाहत में एमबीए करके एलएनटी और कोटेक महिन्द्रा जैसी कंपनी में लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़कर किसान बनने का फैसला किया. कॉर्पोरेट जगत की अच्छे पैकेज की नौकरी छोड़ने का यह फैसला उनके लिए कतई आसान नहीं था. घर, दोस्त और रिश्तेदार सबने विरोध किया, लेकिन उन्होंने सिर्फ अपने दिल की सुनी. ये उनके ही आत्मविश्वास का नतीजा है कि आज वे एक कामयाब किसान हैं. आइए जानते हैं कैसे पाया उन्होंने ये मुकाम..
एमएनसी की छोड़ी नौकरी
मीडिया को दिए इंटरव्यू में रवि ने कहा, मैंने साल 2011 में MBA किया था. उसके बाद एलएनटी और कोटेक महिन्द्रा जैसी कंपनियों में जॉब की, लेकिन इस दौरान मुझे महसूस होने लगा था कि कहीं कुछ कमी है. मैं हर दिन सोचता रहता था कि आखिरी मैं खुश क्यों नहीं हूं. क्या चीज ऐसी है जो मुझे परेशान कर रही है.'
ऐसे हुई शुरुआतरवि ने बताया, 'मैं समझ चुका था कि 10 से 7 की नौकरी न तो मुझे संतुष्टि दे सकती है और न ही बेहतर आमदनी. बस यहीं से मैंने कुछ अलग करने के बारे में सोचना शुरू किया. इसके बाद मैं जॉब छोड़कर गांव वापस आ गया.'
शुरू की रिसर्च
रवि कहते हैं, 'गांव आकर मैंने देखा कि हमारे गांव में नीलगाय का बहुत आतंक होता है. इसकी वजह से बहुत फसलें बर्बाद हो जाती हैं, लेकिन गेंदे की फसल ऐसी थी जो नीलगाय या फिर दूसरे जानवर बर्बाद नहीं करते. बस यहीं से मेरे दिमाग में एक आइडिया कौंधा और मैंने अपने दो बीघा खेत में गेंदे का पौधा लगा दिया. बस तीन महीने में फसल पककर तैयार हो गई. इस तरह से मैंने गेंदे की खेती शुरू कर दी.
3 हजार में 30-50 हजार की आमदनी
एक बीघा गेंदा लगाने में नर्सरी से लेकर खाद तक कुल तीन हजार तक का खर्चा आता है, जिससे फसल पकने के बाद 30 से 40 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है. वहीं जब सीजन होता है तो ये आमदनी और बढ़ जाती है.
विरोध सहना पड़ा
वह कहते हैं, 'शुरुआत में जब नौकरी छोड़कर आया था तो खानदान में सभी लोग मेरे परिवार से नाखुश थे. हर कोई कह रहा था कि इतनी पढ़ाई-लिखाई और अच्छी जॉब छोड़कर मैं खेती क्यों करना चाहता हूं, लेकिन मैंने धीरे-धीरे सबको समझाया. आज जब नतीजे सामने हैं तो सब खुश हैं.
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मीडिया को दिए इंटरव्यू में रवि ने कहा, मैंने साल 2011 में MBA किया था. उसके बाद एलएनटी और कोटेक महिन्द्रा जैसी कंपनियों में जॉब की, लेकिन इस दौरान मुझे महसूस होने लगा था कि कहीं कुछ कमी है. मैं हर दिन सोचता रहता था कि आखिरी मैं खुश क्यों नहीं हूं. क्या चीज ऐसी है जो मुझे परेशान कर रही है.'

शुरू की रिसर्च
रवि कहते हैं, 'गांव आकर मैंने देखा कि हमारे गांव में नीलगाय का बहुत आतंक होता है. इसकी वजह से बहुत फसलें बर्बाद हो जाती हैं, लेकिन गेंदे की फसल ऐसी थी जो नीलगाय या फिर दूसरे जानवर बर्बाद नहीं करते. बस यहीं से मेरे दिमाग में एक आइडिया कौंधा और मैंने अपने दो बीघा खेत में गेंदे का पौधा लगा दिया. बस तीन महीने में फसल पककर तैयार हो गई. इस तरह से मैंने गेंदे की खेती शुरू कर दी.
3 हजार में 30-50 हजार की आमदनी
एक बीघा गेंदा लगाने में नर्सरी से लेकर खाद तक कुल तीन हजार तक का खर्चा आता है, जिससे फसल पकने के बाद 30 से 40 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है. वहीं जब सीजन होता है तो ये आमदनी और बढ़ जाती है.
विरोध सहना पड़ा
वह कहते हैं, 'शुरुआत में जब नौकरी छोड़कर आया था तो खानदान में सभी लोग मेरे परिवार से नाखुश थे. हर कोई कह रहा था कि इतनी पढ़ाई-लिखाई और अच्छी जॉब छोड़कर मैं खेती क्यों करना चाहता हूं, लेकिन मैंने धीरे-धीरे सबको समझाया. आज जब नतीजे सामने हैं तो सब खुश हैं.
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