नई दिल्ली. पिता, उत्तर-प्रदेश (UP) पुलिस में कॉन्स्टेबल थे. 5 लोगों का परिवार सही से जीवन गुजार रहा था. लेकिन जब परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा, तो सरकारी तंत्र (System) को जानने-समझने का मौका मिला. तभी तय कर लिया कि इस तंत्र का हिस्सा बनना है. लगातार प्रयास किया, असफल भी हुए. आखिरकार पांचवे प्रयास में 56वीं रैंक से सफल हुए और PCS अधिकारी बन गए. ये कहानी है PCS संतोष कुमार जगराम की. चलिए जानते हैं उनके PCS बनने तक का सफर कैसा रहा.
संतोष बुलंदशहर (Bulandshahar) के एक छोटे गांव पोलादपुर से हैं. उनके पिता नत्थी सिंह UP पुलिस में कांस्टेबल थे. वे बागपत और ग़ाज़ियाबाद में तैनात रहे. मां गृहणी थीं. बच्चों में संतोष सबसे बड़े थे. छोटा भाई इन्वेस्टमेंट बैंकर है. सबसे छोटी बहन है.
पिता की नौकरी से घर ठीक से चल रहा था. लेकिन 2003 में परिवार पर संकट के बादल छा गए. पिता की नौकरी मुश्किल में आ गई. इसके चलते परिवार को कई महीने तक आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ा. इस दौरान पिता के साथ लगातार सरकारी तंत्र से सामना हुआ. तब समझ में आया कि समाज में सिस्टम की क्या भूमिका होती है. तभी इस सिस्टम का हिस्सा बनने का संकल्प लिया.
संतोष ने वर्ष 2002 में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. तभी से सिविल सर्विसेज (Civil Services) की तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने 2003 में पहली बार सिविल्स की परीक्षा दी और मेन्स तक पहुंचे. लेकिन इससे आगे नहीं बढ़ सके. 2004 में दूसरा प्रयास किया. इस बार भी परिणाम वही रहा. 2005 में तीसरा प्रयास किया और इस बार वे इंटरव्यू (Interview) तक पहुंचे. इसके बाद 2007 में चौथा प्रयास किया. फिर 2008 में पांचवा प्रयास किया और इस बार वे सफल रहे. 2011 में परिणाम आया. उन्होंने 56वीं रैंक के साथ सफलता पाई और PCS बन गए. 2011 में ही उनकी पहली पोस्टिंग जनपद काशगंज में नायव तहसीलदार (Tehseeldaar) के पद पर हुई. इससे पहले वे 2006 में ग़ाज़ियाबाद के सरकारी इंटर कॉलेज में लेक्चरर (Lecturer) भी रहे थे.
संतोष बताते हैं कि उनके इस सफर में उनके परिवार और दो दोस्तों प्रेमचंद और राहुल गुप्ता ने भरपूर साथ दिया. वे जब भी असफल हुए तो इन सब ने उनका हौंसला बढ़ाया और फिर से प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया. इन सबकी प्रेरणा से ही वे इस मुकाम तक पहुंच सके. फिलहाल वे अलीगढ़ के खैर में तहसीलदार हैं.
सिविल्स की तैयारी करने वाले छात्रों को संतोष की सलाह है कि वे कभी भी हार नहीं मानें. जीवन में कई विषम परिस्थितियां आएंगी. उनसे लड़कर ही आगे बढ़ा जा सकता है, डरकर नहीं. इसलिए धैर्य बनाएं रखें. एक दिन समय जरूर बदलेगा. वे खुद इसका उदाहरण हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 26, 2021, 15:20 IST