UP Board Results 2020: ये हैं वो 134 स्कूल जहां से नहीं पास हो सका एक भी स्टूडेंट

पूरे यूपी के कई स्कूलों में बच्चों का पास प्रतिशत शून्य है.
पूरे प्रदेश में ऐसे 134 स्कूल (134 Schools) ऐसे हैं जहां से एक भी बच्चा एक्जाम नहीं पास कर सका (Zero Pass Percentage). ये स्कूल यूपी के तकरीबन सभी बड़े से लेकर छोटे शहरों में हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: June 27, 2020, 5:12 PM IST
लखनऊ. यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटर के नतीजे (UP Board Results 2020) शनिवार को घोषित कर दिए गए. दसवीं में 83.31% फीसदी बच्चों ने सफलता हासिल की. वहीं 12वीं में 74.63 प्रतिशत बच्चों ने परचम लहराया. हाईस्कूल और इंटर दोनों के ही टॉपर बागपत जिले से हैं. लेकिन पूरे प्रदेश में 134 ऐसे भी स्कूल हैं जहां से एक भी बच्चा नहीं पास हो सका. इन जिलों में यूपी के तकरीबन सभी बड़े से लेकर छोटे शहर शामिल हैं. लेकिन पूर्वांचल के गाजीपुर में ऐसे स्कूल सबसे ज्यादा हैं. ऐसे 15 फीसड्डी स्कूलों के साथ गाजीपुर इस लिस्ट में टॉप पर है.
किन जिलों से कितने स्कूल
लखनऊ-1, प्रयागराज-7, देवरिया-6, बलिया-7, आगरा-9, फतेहपुर-5, कौशांबी-8 जैसे कई जिले इस लिस्ट में शामिल हैं. हालांकि सबसे ज्यादा संख्या गाजीपुर जिले की रही है. पश्चिमी यूपी में पढ़ाई-लिखाई के सेंटर माने जाने वाले अलीगढ़ जिले में ऐसे 6 स्कूल हैं जहां एक भी स्टूडेंट पास नहीं हो सका. वहीं गाजीपुर के पड़ोसी जिले मऊ में भी 7 से आठ स्कूल इसी श्रेणी में आते हैं.
इस बार बेहतर रहा है परिणामयूपी बोर्ड की इस साल की परीक्षा का परिणाम पिछले साल से काफी बेहतर रहा. इस साल दसवीं में कुल 30 लाख से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से दो लाख से ज्यादा ने परीक्षा बीच में ही छोड़ दी. परीक्षा देने वालों में से 83.31 प्रतिशत पास हुए, जबकि पिछले साल दसवीं का रिजल्ट 80.07 प्रतिशत रहा था.
कभी यूपी में बहुत कम होता था पास स्टूडेंट्स का प्रतिशत
यूपी बोर्ड में बीते कुछ सालों में पास होने वाले स्टूडेंट्स का प्रतिशत बढ़ा है. 1990 के दशक और 2000 के शुरुआती सालों में यूपी बोर्ड में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में पास प्रतिशत बेहद कम हुआ करता था. अक्सर रिजल्ट 30 से 40 फीसदी के बीच हुआ करता था. लेकिन बीते एक दशक के दौरान पास प्रतिशत में बहुत अंतर आया है.
नकल को लेकर उठते रहे हैं सवाल
यूपी बोर्ड के अधिकारी और नेता बीते सालों में लगातार इस बात को लेकर आश्वस्त करते रहे हैं कि परीक्षाएं नकलमुक्त रही हैं. लेकिन परीक्षाओं के दौरान नकल की तस्वीरें भी आती रही हैं. हालांकि 2017 में यूपी में योगी सरकार आने के बाद से लगातार परीक्षाओं में कड़ाई बरती जा रही है. सरकार ने ऐसे प्रयास किए हैं जिनसे नकल विहीन परीक्षाएं आयोजित करवाई जा सकें.
किन जिलों से कितने स्कूल
लखनऊ-1, प्रयागराज-7, देवरिया-6, बलिया-7, आगरा-9, फतेहपुर-5, कौशांबी-8 जैसे कई जिले इस लिस्ट में शामिल हैं. हालांकि सबसे ज्यादा संख्या गाजीपुर जिले की रही है. पश्चिमी यूपी में पढ़ाई-लिखाई के सेंटर माने जाने वाले अलीगढ़ जिले में ऐसे 6 स्कूल हैं जहां एक भी स्टूडेंट पास नहीं हो सका. वहीं गाजीपुर के पड़ोसी जिले मऊ में भी 7 से आठ स्कूल इसी श्रेणी में आते हैं.
इस बार बेहतर रहा है परिणामयूपी बोर्ड की इस साल की परीक्षा का परिणाम पिछले साल से काफी बेहतर रहा. इस साल दसवीं में कुल 30 लाख से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से दो लाख से ज्यादा ने परीक्षा बीच में ही छोड़ दी. परीक्षा देने वालों में से 83.31 प्रतिशत पास हुए, जबकि पिछले साल दसवीं का रिजल्ट 80.07 प्रतिशत रहा था.
कभी यूपी में बहुत कम होता था पास स्टूडेंट्स का प्रतिशत
यूपी बोर्ड में बीते कुछ सालों में पास होने वाले स्टूडेंट्स का प्रतिशत बढ़ा है. 1990 के दशक और 2000 के शुरुआती सालों में यूपी बोर्ड में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में पास प्रतिशत बेहद कम हुआ करता था. अक्सर रिजल्ट 30 से 40 फीसदी के बीच हुआ करता था. लेकिन बीते एक दशक के दौरान पास प्रतिशत में बहुत अंतर आया है.
नकल को लेकर उठते रहे हैं सवाल
यूपी बोर्ड के अधिकारी और नेता बीते सालों में लगातार इस बात को लेकर आश्वस्त करते रहे हैं कि परीक्षाएं नकलमुक्त रही हैं. लेकिन परीक्षाओं के दौरान नकल की तस्वीरें भी आती रही हैं. हालांकि 2017 में यूपी में योगी सरकार आने के बाद से लगातार परीक्षाओं में कड़ाई बरती जा रही है. सरकार ने ऐसे प्रयास किए हैं जिनसे नकल विहीन परीक्षाएं आयोजित करवाई जा सकें.
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