UPSC Exam Tips: यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने से पहले यह भी जान लेना चाहिए कि आयोग आपसे चाहता क्या है
मुख्य परीक्षा का उद्देश्य उम्मीदवारों के समग्र बौद्धिक गुणों तथा उनके गहन ज्ञान का आकलन करना है, मात्र उनके सूचना के भण्डार तथा स्मरण शक्ति का आकलन करना नहीं, सामान्य अध्ययन के प्रश्न-पत्रों के प्रश्नों का स्वरूप तथा इनका स्तर ऐसा होगा कि कोई भी सुशिक्षित व्यक्ति बिना किसी विशेष अध्ययन के इनके उत्तर दे सके.प्रश्न ऐसे होंगे, जिनसे विविध विषयों पर उम्मीदवार की सामान्य जानकारी का परीक्षण किया जा सके और जो सिविल सेवा में करियर से संबंधित होंगे.
“हम तैयारी कैसे करें?”
प्रश्न इस प्रकार के होंगे, जो सभी प्रारम्भिक विषयों के बारे में उम्मीदवारों की आधारभूत समझ तथा परस्पर विरोधी सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों, उद्देश्यों और मांगों का विश्लेषण तथा इस पर दृष्टिकोण अपनाने की क्षमता का परीक्षण करें. उम्मीदवार संगत, सार्थक तथा सारभूत उत्तर दें.”यह यू.पी.एस.सी. का महत्वपूर्ण ही नहीं बल्कि सबसे महत्वपूर्ण वक्तव्य है, जिसकी आमतौर पर परीक्षार्थी अनदेखी कर जाते हैं. तभी तो वे दूसरों से अक्सर यह पूछते हैं कि “हम तैयारी कैसे करें?” तथा यह भी कि “इस तैयारी की शुरुआत कैसे करें?”
इस कथन में क्या महत्वपूर्ण है ?
संघ लोक सेवा आयोग का यह वक्तव्य सिविल सेवा परीक्षा में बैठने वाले परीक्षार्थियों को तैयारी की दिशा ही नहीं दिखाता है बल्कि उस दिशा में बने रास्ते पर प्रकाश भी डालता है. यू.पी.एस.सी. के इस कथन में आखिर ऐसा क्या है कि इसे मैं इतना महत्वपूर्ण मान रहा हूँ? मैं बताता हूँ. आप इस अंश में निहित कुछ शब्दों और वाक्यों पर गौर कीजिए. इसका एक पक्ष सकारात्मक है और दूसरा पक्ष नकारात्मक. हम जिन्हें सकारात्मक पक्ष के अन्तर्गत शामिल कर सकते हैं, वे हैं-
समग्र बौद्धिक गुणों एवं गहन ज्ञान का आंकलन करना,
सामान्य जानकारी का परीक्षण,
प्रासंगिक विषयों की आधारभूत समझ,
परस्पर विरोधी सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों, उद्देश्यों और माँगों का विश्लेषण, तथा
दृष्टिकोण अपनाने की क्षमता.
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क्या है यूपीएससी की अपेक्षाएं
बहुत स्पष्ट है कि यू.पी.एस.सी. आपसे क्या-क्या अपेक्षाएं कर रहा है. यहां न तो शब्दों का मायाजाल है और न ही किसी तरह की अस्पष्टता ही. हम सरल शब्दों में कह सकते हैं कि यू.पी.एस.सी. इस बात की खुलेआम घोषणा कर रहा है कि हमें विषय के विशेषज्ञ नहीं चाहिए. हमें सामान्य चाहिए और ऐसे सामान्य चाहिए, जिनके पास विश्लेषण की क्षमता हो और साथ ही अपने मौलिक विचार भी.
अब हम आते हैं इसके नकारात्मक पक्ष की ओर. इसके अन्तर्गत जो शब्द शामिल किए जा सकते हैं, वे हैं-
सूचना के भण्डार का संकलन नहीं,
स्मरण शक्ति का आकलन नहीं, तथा
बिना किसी विशेष अध्ययन के.
इसकी नहीं है जरूरत
हमारी शिक्षा मूलतः दो बातों पर आधारित है- दिमाग में ढेर सारी सूचनाओं को ठूंसना तथा उन्हें कम से कम परीक्षा होने तक तो अपने दिमाग में संभालकर रखना. यू.पी.एस.सी. इस तथ्य को जानता है इसीलिए उसने साफ-साफ चेतावनी दी है कि उसे इसकी कतई आवश्यकता नहीं है. स्पष्ट है कि वह इससे बचने की बात कर रहा है, ताकि कहीं ऐसा न हो कि परीक्षार्थी इसी के चक्कर में पड़कर अपने जीवनकाल के सर्वोत्तम क्षणों को यूं ही बर्बाद कर दें.
(लेखक पूर्व सिविल सर्वेंट और afeias के संस्थापक हैं)
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Tags: UPSC, Upsc exam, UPSC Exams
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