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UPSC Exam Tips : 10 फीसदी को ही मिलती है IAS रैंक, बाकी बनते हैं IPS, IFS

UPSC Exams Tips: यूपीएससी परीक्षा पास करके ही आईएएस बना जाता है.

UPSC Exams Tips: यूपीएससी परीक्षा पास करके ही आईएएस बना जाता है.

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सामान्यतया यह देखा गया है कि हर साल यूपीएससी जितनी भी पोस्ट विज्ञापित करती है, उनमें से लगभग दस प्रतिशत आई.ए.एस. यानी कि इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के लिए होती हैं. निश्चित रूप से कमोवेश सभी विद्यार्थी इन 10 प्रतिशत पदों के लिए ही बैठते हैं. यह बात अलग है कि इनमें से केवल 10 प्रतिशत लोगों को ही आई.ए.एस. मिल पाता है और शेष अपनी-अपनी रैंकिंग और अपनी-अपनी पसन्द के मुताबिक आई.पी.एस., आई.एफ.एस. तथा अन्य एलाइड सर्विसेस में चले जाते हैं, लेकिन सबका पहला और अंतिम उद्देश्य इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस यानी कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में ही चयनित होना होता है.

कैसे पाएं आईएएस की रैंक
अब चुनौती यह है कि आई.ए.एस. में ही कैसे आया जाए? यह देखा गया है कि जो भी स्टूडेन्ट्स इस प्रतियोगिता में बैठते हैं, उनमें से बहुत ही कम प्रतिशत ऐसे विद्यार्थियों का होता है, जो पहली ही बार में आई.ए.एस. में आ पाते हैं. ज्यादातर मामलों में दूसरी या तीसरी बार की परीक्षा में इस सेवा में आ पाते हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि यदि कोई विद्यार्थी आई.ए.एस. ही बनना चाह रहा है, तो उसे दूसरी बार या तीसरी बार या अगर अटेम्प्ट बचे हों, तो चौथी और पांचवीं बार भी परीक्षा में बैठना पड़ता है.यहां सवाल यह है कि क्या दूसरी, तीसरी और चौथी बार बैठने से ही उस विद्यार्थी की रैंकिंग में इतना सुधार हो जाएगा कि वह आई.ए.एस. में आ जाएगा? ऐसा बिल्कुल भी नहीं है.

क्‍या है आम धारणा

आम धारणा तो यही है कि जैसे-जैसे परीक्षा में बैठने के हमारे अनुभव बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे हमारी रैंकिंग में सुधार होने की संभावना भी बढ़ती जाती है. होना भी यही चाहिए, लेकिन व्यावहारिक रूप में ऐसा होता हुआ नहीं देखा गया है. इसके कई कारण हैं. निश्चित रूप से हर साल नये विद्यार्थी इस प्रतियोगिता में शामिल होते हैं. उनकी अपनी तैयारी होती है. वे आई.ए.एस. के स्थानों को भर देते हैं. यह भी होता है कि जो दूसरी सेवा में सिलेक्ट हो गए हैं, उनमें जरूरत से अधिक ही आत्मविश्वास आ जाता है. इससे उनकी तैयारी में ढिलाई आ जाती है. यह भी देखा गया है कि ट्रेनिंग में इतनी अधिक व्यस्तता होती है कि वे अपनी तैयारी को सही अंजाम नहीं दे पाते. यदि ट्रेनिंग में व्यस्तता नहीं भी है, तो भी अपने आपको इतना व्यस्त समझ लेते हैं कि अच्छी तैयारी करने के लिए वक्त नहीं निकाल पाते.

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ऐसे भी होते हैं अभ्‍यर्थी
ऐसे विद्यार्थियों की संख्या भी कम नहीं होती है, जो अपनी रैंकिंग तो सुधारना चाहते हैं, लेकिन अभी जिन सेवाओं में आ गए हैं, वह कहीं न कहीं आन्तरिक रूप से उन्हें संतोष देने लगती है. अतः वे इस द्वन्द्व में भी आ जाते हैं कि यदि आई.ए.एस. में आ गए तो ठीक, और यदि नहीं आए, तो भी कोई बुरी बात नहीं है. इसका असर उनकी तैयारी पर पड़ता है. यह एक मनोवैज्ञानिक बाधा होती है, जिसे दूर करना होता है.

(लेखक पूर्व सिविल सर्वेंट और afeias के संस्थापक हैं।)

Tags: Career, Government jobs, Upsc exam, UPSC results

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