UPSC Exam : मुख्य परीक्षा में निबंध का पेपर 90 के दशक में शामिल किया गया.
सन् 1979 में जब सिविल सेवा परीक्षा के वर्तमान पैटर्न की शुरूआत हुई थी, उस समय मुख्य परीक्षा के अंतर्गत निबंध को अलग से अनवार्य पेपर के रूप में शामिल नहीं किया गया था. बाद में नब्बे के दशक में जाकर इसकी जरूरत महसूस की गई. इसके बाद दो सौ पचास अंकों का एक अनिवार्य पेपर शामिल कर लिया गया. तब से लेकर आज तक निबन्ध का यह पेपर खंड-अ और खंड-ब नामक दो भागों में विभाजित होता है.
एक खंड में चार निबंध
एक खण्ड में चार निबन्ध दिए जाते हैं। इनमें से परीक्षार्थी को प्रत्येक भाग से एक-एक निबन्ध लिखना होता है. यदि हम निबन्ध के पिछले तीन साल के पेपर्स को छोड़ दें, तो लम्बे समय तक जिन विषयों पर निबन्ध लिखने के लिए कहा जाता था, उन्हें निबन्ध न कहकर जनरल नॉलेज कहना ज्यादा सही होगा. अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र और विज्ञान पर इस तरह के टॉपिक दिए जाते थे, जिन पर विषय की अच्छी समझ के बिना निबन्ध लिखा ही नहीं जा सकता था. जाहिर है कि इससे जिस उद्देश्य से निबन्ध के पेपर को शामिल किया गया था, वह पूरा नहीं हो पा रहा था. अफसोस की बात यह कि यह सब पच्चीस सालों तक चलता रहा और इसमें परिवर्तन की जरूरत महसूस नहीं की गई.
‘देर आए दुरुस्त आए’
अब पिछले तीन सालों से जिन विषयों पर निबन्ध लिखने के लिए कहा जा रहा है, उसमें यू-टर्न साफ तौर पर दिखाई दे रहा है. खासकर कुछ दिनों पहले हुई सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में जो निबन्ध के विषय दिए गए, उनकी मुक्तकंठ से सराहना की जानी चाहिए हालांकि यह बात समझ में नहीं आई कि इन निबन्धों का विभाजन दो खंडों में क्यों किया गया है, क्योंकि दोनों ही खंडों में जिस तरह के शीर्षक दिये गये हैं, उनमें काफी समानता देखने को मिलती है लेकिन कुल आठ निबन्धों को दो खंडों में विभाजित कर देने से परीक्षार्थी की योग्यता की थोड़ी अच्छी जांच-परख तो हो ही जाती है.
जो भी लिखना है अपनी ओर से
निबन्ध का अर्थ ही होता है-बिना बंधा हुआ. इसका अर्थ यह हुआ कि परीक्षार्थी को निबन्ध में अपनी ओर से अपनी बात को रखने की पूरी-पूरी छूट हो. हां, यह जरूरी है कि उसकी बातें मुख्य विषय के आसपास ही होनी चाहिए. यूपीएससी. ने इसके लिये साफ-साफ निर्देश भी दे रखे हैं जो निबन्ध दिये गये हैं, उन निबन्धों की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि परीक्षार्थियों को इस पर लिखी हुई कोई सामग्री मिल पाना महज एक संयोग की बात है. इसका अर्थ यह हुआ कि उन्हें जो कुछ भी लिखना है, अपनी ओर से लिखना है. जाहिर है कि जब प्रश्नों के उत्तर इस प्रकृति के होते हैं, तो इनके माध्यम से प्रतिभा की सही पहचान हो पाती है. इस बार के निबन्ध ऐसी प्रतिभा की पहचान करने की दृष्टि से अद्भुत है और साथ ही बहुत प्यारे भी.
उदाहरण से समझिए
यदि मेरी इन बातों ने आपके मन में निबन्धों के विषय जानने की जिज्ञासा उत्पन्न की होगी, तो मुझे लगता है कि उसे शांत करने के लिए कुछ निबन्धों का उल्लेख करना गलत नहीं होगा. एक निबन्ध है ‘’कवि संसार के अनधिकृत रूप से मान्य विधायक होते हैं’’. इसी खंड-अ का एक अन्य निबंध है ‘’जहाज बंदरगाह के भीतर सुरक्षित होता है, परन्तु इसके लिए तो वह होता नहीं है.‘’ खंड-ब में एफ फिलासफीकल विषय दिया गया है, ‘’आप उसी नदी में दोबारा नहीं उतर सकते’’। इसी खंड का एक अन्य निबन्ध हैं, हर समस्या के लिए मुस्कराहट ही चुनिंदा माध्यम है.‘’ निश्चित तौर पर इन निबन्धों को पढ़ने के बाद आपके चेहरे पर मुस्कराहट की हल्की-सी रेखा ही सही, अवश्य उभर आई होगी.
(लेखक पूर्व सिविल सर्वेन्ट एवं afeias के संस्थापक हैं)
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Upsc exam, UPSC Exams, UPSC results