छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां आज भी राहत शिविर में नक्सल पीड़ित लोगों के लिए मुफ्त राशन भेजा जाता है. इस गांव में 1000 से अधिक सुरक्षाबलों की निगरानी में प्रशासन की ओर से हाल ही में राशन भेजा गया है. क्योंकि बारिश के 4 महीने जगरगुंडा टापू में तब्दील हो जाता है.
कटीले तारों के बीच ज़िन्दगी गुज़ार रहे 2500 लोगों को दाना पानी मुहैया कराना प्रशासन की जिम्मेदारी है. चूंकि इस गांव को अब तक सीधे सड़क के रास्ते नही जोड़ा जा सका. क्योंकि इलाका घोर नक्सल प्रभावित है. हालांकि सड़क निर्माण का काम जारी है.
जून से सितंबर ये इलाका टापू में तब्दील हो जायेगा और पुल के उस पार 43 गांव से लोगों की बुनियादी जरूरते वहीं तक सीमित रह जाएंगी. सरकार, प्रशासन इसे सीधे अब तक नही जोड़ पाई. क्योंकि इलाका सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित है और बस्तर के सबसे बड़े नक्सली हमले इसी इलाके में हुए. इसलिए इसे खूनी सड़क भी कहा जाता है.
वर्तमान में जिला बल व सीआरपीएफ सड़क को बनवाने में पूरा दम खम दिखा रही है. सुकमा जिले के जगरगुंडा राहत शिविर में रहने वाले 528 परिवारों के लिए बरसात का दाना-पानी शुरुआती बारिश में ही रवाना हुआ. इस राशन की सुरक्षा में कोबरा, सीआरपीएफ, जिला पुलिस के तकरीबन 1200 जवान हैं.
इधर शिविर में रहने वाले लोगों को राहत पहुंचाने की कवायद तो दूसरी ओर राशन की सुरक्षा और इस दौरान किसी नक्सली वारदातों से बचाने जवानों की मुस्तैदी रही. 20 ट्रकों में 2500 शिविरार्थियों के लिए राशन कोबरा, डीआरजी, सीआरपीएफ, जिला पुलिस की निगरानी में निकाला गया. 58 किमी का यह इलाका इसलिए संवेदनशील है. क्योंकि यहां कहीं भी नक्सली बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 08, 2018, 13:50 IST