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Dussehra 2019: दशहरे के दिन नहीं होता यहां रावन दहन, लोगों में है अकाल मौत का डर

छत्तीसगढ़ का एक गांव ऐसा भी है जहां विजयदशमी के दूसरे दिन रावण का वध किया जाता है. और तो और बिल्कुल ही अलग तरीके से यहां रावण का दहन होता है.

छत्तीसगढ़ का एक गांव ऐसा भी है जहां विजयदशमी के दूसरे दिन रावण का वध किया जाता है. और तो और बिल्कुल ही अलग तरीके से यहां रावण का दहन होता है.

छत्तीसगढ़ का एक गांव ऐसा भी है जहां विजयदशमी के दूसरे दिन रावण का वध किया जाता है. और तो और बिल्कुल ही अलग तरीके से यहा ...अधिक पढ़ें

बेमेतरा. आमतौर पर दशहरे (Dussehra) के दिन आतिशबाजी के साथ रावण का दहन किया जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ का एक गांव ऐसा भी है जहां विजयदशमी (Vijayadashami) के दूसरे दिन रावण का वध किया जाता है. और तो और बिल्कुल की अलग तरीके से यहां रावण का दहन किया जाता है. बकायता रावण (Ravan) को तालाब के बीचो-बीच एक नाव के सहारे लेकर जाया जाता है. फिर बड़े ही हाईटैक तरीके से उसे जलाया जाता है. कहा जाता है कि लोग सालों से ये परंपरा निभाते आ रहे हैं. इस पीछे एक बड़ी वजह भी है.

आपको बता दें कि ग्रामीण 30 फीट का रावण बनाते हैं. इसे बकायदा पानी में डूबने से बचने के
लिए 12 लकड़ी की पटिया में 8 ड्रम को बांधकर तैयार किया जाता है. इसे बनाने में करीब 1 हफ्ते का समय लगता है. रावण के पुतले को इसे के सहारे तालाब के बीचो-बीच लेकर गांव वाले जाते हैं. फिर इसे बकायदा रिमोट कंट्रोल से जलाया जाता है. इस अनोखी प्रथा के कारण आस-पास के गावों में लेजवारा गांव की चर्चा काफी होती है.

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लेजवारा के ग्रामीण 30 फीट ऊंचे रावण का निर्माण करते हैं.


लोगों में है अनोखी परंपरा

लेजवारा गांव के ग्रामीण एक बेहन अनोखी परंपरा को तकरीबन 20 सालों से मानते आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि तालाब में डूबने गांव वालों की मौत हो जाया करती थी. इसके बाद से तालाब के बीच में रावण दहन के परंपरा की शुरूआत की गई. लोगों का मानना है कि तलाब के बीच में रावण दहन करने से अब किसी की अकाल मौत नहीं होती.



प्रशासन की समझाइश भी नहीं मानते लोग

लेजवारा गांव के लोगों की मानें तो रावण दहन पहले पत्थर से बने जगह पर पुतला बनाकर किया जाता था.  लेकिन गांव के तालाब में डूबने से दशहरे के आस-पास  महीनों में दो से तीन ग्रामीणों की मौत हो जाती थी. इससे उभरने के लिए ग्रामीणों ने तालाब में रावण दहन का उपाय अपनाया.  कलेक्टर एसपी सहित तहसीलदार ने इस रूढ़िवादी परंपरा को बंद करने की समझाइश लोगों को दी. लेकिन सभी ने इस परंपरा को जारी रखने का आग्रह किया.

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