हद है.. छत्तीसगढ़ के इस जिले में कपड़ों की तरह सड़क की हो रही 'सिलाई'
नेशनल हाईवे में पड़ी दरारों को अब कपड़े की तरह सड़क की ही सिलाई की जा रही है.
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated: June 11, 2019, 6:12 PM IST
छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में भ्रष्टाचार का एक अनोखा मामला सामने आया है. सिमता से कबीरधाम को जोड़ने वाली सड़क में शासन को हैंडओवर होने से पहले ही लंबी-लंबी दरारें पड़ गई है. हालत ये है कि निर्माण कंपनी भी इन दरारों को भर नहीं पा रही है. अब दरारों को भरने के लिए कंपनी ने एक अनोखी तरकीब अपनाई है. नेशनल हाईवे में पड़ी दरारों को अब कपड़े की तरह सड़क की ही सिलाई की जा रही है. सड़क की हालत ऐसी हो गई है कि अगर इसे जोड़ा न गया तो ये टूटकर बिखर ही जाएगी.
सड़क पर 5000 से ज्यादा जगहों पर पड़ी दरार
बेमेतरा जिले में सिमगा से कबीरधाम को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-30 का लोकार्पण से पहले ही बुरा हाल हो गया है. निर्माण एजेसी द्वारा किए गए घटिया निर्माण की पोल सड़क में पड़ी दरारों से खुलने लगी है. इस सड़क में अब तक एक दो नहीं बल्कि तकरीबन 5000 जगहों पर दरारें पड़ चुकी है जिसकी मरम्मत करना भी अब एक चुनौती बना गई है, क्योकि सड़क पर परिवहन जारी है. आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस गिट्टी से सड़क का निर्माण किया गया है बेमेतरा जिला प्रशासन में शासकीय कार्य में उसके उपयोग की इजाज़त ही नहीं है. बताते हैं कि रसूखदार निर्माण एजेंसी के सामने इसी गिट्टी से निर्माण हो रहा था तब से ही इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे थे. लेकिन सारे सवालों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से रोड का निर्माण किया गया. अब स्थिति ये है कि हर 10 कदम में दरार है.
भारी भरकम राशि खर्च कर बनाई घटिया सड़कजानकारी के मुताबिक 270 करोड़ की भारी भरकम राशि खर्च कर इस सड़क का निर्माण किया गया है. अब सवाल ये है कि इस तरह के घटिया निर्माण की जिम्मेजारी किसकी है. आलम ये है कि लोकार्पण के बाद इसी घटिया सड़क में चलने के लिए भी लोगों को टोल नाका में रुपए खर्च करना पड़ेगा. इस पूरे मामले में बेमेतरा कलेक्टर महादेव कावरे का कहना है कि दिशा समिति की बैठक में भी ये बात सामने आई थी कि सड़क में तकरीबन 5000 जगहों पर दरारें आई है. इस बात की जांच कर विभाग आगे की कार्रवाई करेगा.
कंपनी ऐसे छुपा रही अपनी काम
पहले तो दरार वाले चिन्हाकित स्थानों को तोड़कर उसे फिर से बनाने की कोशिश की गई. पर लगातार एक के बाद स्थानों पर दारार पड़ने से सड़क बनाने वाली निर्माण कंपनी भी परेशान हो गई. इसके बाद से कंपनी अब केवल दरारों को ढकने का काम कर रही है. इतना ही नहीं सड़क तुड़कों में न बट जाए इसलिए सड़क की किसी कपड़ों की तरह सिलाई की जा रही है. मालूम हो कि 12 जन 2016 को केन्द्रीय मंत्री द्वारा इस सड़क का भूमिपूजन किया गया था. तब से ही तूफानी गति से सड़क का निर्माण तय समय में कर दिया जाए तब से जल्दीबाजी में किए गए घटिया निर्माण की पोल अब खुल रही है.
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सड़क पर 5000 से ज्यादा जगहों पर पड़ी दरार
बेमेतरा जिले में सिमगा से कबीरधाम को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-30 का लोकार्पण से पहले ही बुरा हाल हो गया है. निर्माण एजेसी द्वारा किए गए घटिया निर्माण की पोल सड़क में पड़ी दरारों से खुलने लगी है. इस सड़क में अब तक एक दो नहीं बल्कि तकरीबन 5000 जगहों पर दरारें पड़ चुकी है जिसकी मरम्मत करना भी अब एक चुनौती बना गई है, क्योकि सड़क पर परिवहन जारी है. आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस गिट्टी से सड़क का निर्माण किया गया है बेमेतरा जिला प्रशासन में शासकीय कार्य में उसके उपयोग की इजाज़त ही नहीं है. बताते हैं कि रसूखदार निर्माण एजेंसी के सामने इसी गिट्टी से निर्माण हो रहा था तब से ही इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे थे. लेकिन सारे सवालों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से रोड का निर्माण किया गया. अब स्थिति ये है कि हर 10 कदम में दरार है.
भारी भरकम राशि खर्च कर बनाई घटिया सड़कजानकारी के मुताबिक 270 करोड़ की भारी भरकम राशि खर्च कर इस सड़क का निर्माण किया गया है. अब सवाल ये है कि इस तरह के घटिया निर्माण की जिम्मेजारी किसकी है. आलम ये है कि लोकार्पण के बाद इसी घटिया सड़क में चलने के लिए भी लोगों को टोल नाका में रुपए खर्च करना पड़ेगा. इस पूरे मामले में बेमेतरा कलेक्टर महादेव कावरे का कहना है कि दिशा समिति की बैठक में भी ये बात सामने आई थी कि सड़क में तकरीबन 5000 जगहों पर दरारें आई है. इस बात की जांच कर विभाग आगे की कार्रवाई करेगा.
कंपनी ऐसे छुपा रही अपनी काम
पहले तो दरार वाले चिन्हाकित स्थानों को तोड़कर उसे फिर से बनाने की कोशिश की गई. पर लगातार एक के बाद स्थानों पर दारार पड़ने से सड़क बनाने वाली निर्माण कंपनी भी परेशान हो गई. इसके बाद से कंपनी अब केवल दरारों को ढकने का काम कर रही है. इतना ही नहीं सड़क तुड़कों में न बट जाए इसलिए सड़क की किसी कपड़ों की तरह सिलाई की जा रही है. मालूम हो कि 12 जन 2016 को केन्द्रीय मंत्री द्वारा इस सड़क का भूमिपूजन किया गया था. तब से ही तूफानी गति से सड़क का निर्माण तय समय में कर दिया जाए तब से जल्दीबाजी में किए गए घटिया निर्माण की पोल अब खुल रही है.
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