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छोटी सी झोपड़ी में पांच साल से चल रहा प्राइमरी स्कूल, लगती हैं 5 कक्षाएं

ये है गुड्डीपाल गांव का सरकारी प्रायमरी स्‍कूल. फोटो : न्‍यूज़18/ईटीवी

ये है गुड्डीपाल गांव का सरकारी प्रायमरी स्‍कूल. फोटो : न्‍यूज़18/ईटीवी

छत्‍तीसगढ़ में बीजापुर जिले के गुड्डीपाल गांव में प्रायमरी स्‍कूल की 5 कक्षाओं के 30 बच्चे ग्रामीणों की बनाई 12X12 फीट ...अधिक पढ़ें

    छत्‍तीसगढ़ में बस्‍तर संभाग के तहत आने वाले बीजापुर जिले में शिक्षा की स्थिति बहुत खराब होती दिख रही है. मुख्यालय से महज़ 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुड्डीपाल गांव में प्राइमरी स्‍कूल की 5 कक्षाओं के 30 बच्चे 12X12 फीट की एक छोटी सी टूटी-फूटी झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर हैं. यह झोपड़ी भी ग्रामीणों ने बनाई है.

    इस गांव में यह स्‍कूल 5 साल से चल रहा है, लेकिन आज तक इसके पक्के भवन के निर्माण के लिए प्रशासन ने कोई पहल नहीं की है. नतीज़तन ग्रामीणों के सहयोग से ही हर साल इस झोपड़ी की मरम्मत कर यहीं अध्यापन का कार्य किया जाता है.

    झोपड़ीनुमा स्कूल के ठीक पीछे एक खुला टीन शेड बना हुआ है. जब बारिश होती है और झोपड़ी में पानी टपकता है  तो यहां पदस्थ शिक्षक बच्चों को लेकर इस शेड में चले जाते हैं. जब बारिश तेज हो जाती है तो यहां भी चारों तरफ से पानी की बौछारें शिक्षक और छात्रों को पूरी तरह से भिगाे देती हैं. इसके बाद आनन-फानन में कई बार समय से पहले ही स्कूल की छुट्टी कर दी जाती है.

    झोपड़ी के पीछे बने खुले टीन शेड में बच्‍चों को पढ़ाते शिक्षक. फोटो : न्‍यूज़18/ईटीवी


    सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि राज्य सरकार के बजट का सबसे बड़ा हिस्‍सा शिक्षा का ही होता है. प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री भी बस्तर से ही हैं. प्रदेश सरकार में वन एवं विधायी मंत्री महेश गागड़ा का निर्वाचन क्षेत्र भी बीजापुर ही है. इसके बावजूद यहां 30 मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

    इस पूरे मामले में जब जिला कलेक्टर डॉ. अय्याज़ तम्बोली से चर्चा की गई तो वे बोले कि शिक्षक हर दिन उस स्कूल में जाते हैं. वहां हर दिन कक्षाएं नियमित रूप से संचालित हो रही हैं. शिक्षक पूरी ईमानदारी और समर्पित भाव से अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

    Tags: Chhattisgarh education department, Government primary schools

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