होम /न्यूज /छत्तीसगढ़ /Navratri special: यहां गिरा था माता सती का दाहिना कंधा, भक्तों को तीन रूपों में देवी देती हैं दर्शन

Navratri special: यहां गिरा था माता सती का दाहिना कंधा, भक्तों को तीन रूपों में देवी देती हैं दर्शन

X
रतनपुर

रतनपुर महामाया मंदिर.

Bilaspur News: न्यायधानी बिलासपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रतनपुर शहर आदिशक्ति मां महामाया देवी की पवित्र पौराणि ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट- सौरभ तिवारी

बिलासपुर. न्यायधानी बिलासपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रतनपुर शहर आदिशक्ति मां महामाया देवी की पवित्र पौराणिक नगरी है. रतनपुर का प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है. मंदिर का मंडप नागर शैली में बना है. यह 16 स्तंभों पर टिका है. गर्भगृह में आदिशक्ति मां महामाया की साढ़े तीन फीट ऊंची प्रस्तर की भव्य प्रतिमा स्थापित है. नवरात्रि में मां महामाया के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त यहां आते हैं और उनकी मांगी हर मनोकामना मां पूरी होती है.

महामाया मंदिर से पहले करते हैं भैरव बाबा के दर्शन

जो भी भक्त माता महामाया का दर्शन करने रतनपुर आते हैं, वह सबसे पहले महामाया मंदिर के कुछ दूर पहले स्थित भैरव बाबा के मंदिर पर रुककर दर्शन करते हैं. भैरव बाबा की यह प्रतिमा प्राचीन है और इसकी ऊंचाई दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. मान्यता है कि भगवान शिव जब देवी सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करते हुए ब्रह्मांड में भटक रहे थे. उस समय भगवान विष्‍णु ने उनको वियोग मुक्त करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए थे. माता के अंग जहां-जहां गिरे, वहीं शक्तिपीठ बन गए. यहां महामाया मंदिर में माता का दाहिना कंधा गिरा था. माना जाता है कि नवरात्रि में यहां की गई पूजा निष्फल नहीं जाती है.

महामाया देवी तीन रूपों में भक्तों को देती हैं दर्शन

रतनपुर में विराजी मां महामाया की महिमा बड़ी निराली है. महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूपों में यहां पर महामाया देवी अपने भक्तों को दर्शन देती हैं. दुर्गा सप्तशती के साथ ही देवी पुराण में महामाया के बारे में जो कुछ लिखा है, ठीक उन्हीं रूपों के दर्शन रतनपुर में विराजी महामाया के रूप में होते हैं. महामाया मंदिर में शक्ति के तीनों रूप दिखाई देते हैं. तीनों रूपों में समाहित मां के स्वरूप को महामाया देवी की संज्ञा दी गई है.

खास है रामटेकरी मंदिर

रतनपुर में महामाया मंदिर के पास ही पहाड़ के ऊपर भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी का मंदिर है, जिसे रामटेकरी कहा जाता है. रामटेकरी से पूरा रतनपुर शहर दिखता है और यह दृश्य बहुत ही सुंदर दिखाई देता है. 1045 ईसवीं में राजा रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में एक वट वृक्ष के नीचे रात्रि विश्राम कर रहे थे. अर्धरात्रि में जब राजा की आंख खुली तो उन्होंने वृक्ष के नीचे आलौकिक प्रकाश देखा. वह यह देखकर अचंभित हो गए कि वहां आदिशक्ति श्री महामाया देवी की सभा लगी है. सुबह वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गए और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया. 1050 ईसवी में श्री महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया गया. कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर की चौखट पर आया वह खाली नहीं गया. माता के इस धाम में कुंवारी लड़कियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

नवरात्रि में आते हैं लाखों भक्त

नवरात्रि में रतनपुर शहर ऊपर से नीचे तक सजा रहता है. अष्टमी के दिन यहां दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु हर वर्ष आसपास के क्षेत्रों से पैदल चलकर आते हैं और माता से मनोकामना मांगते हैं. यहां पहुंचने के लिए सड़क, रेल या वायु मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है. यह मंदिर बिलासपुर शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर है. रतनपुर के लिए हर एक घंटे में बस सेवा उपलब्ध है. बिलासपुर रेलवे स्टेशन से भी रतनपुर की दूरी 25 किलोमीटर है. इसी तरह से वायु मार्ग से यह स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट, रायपुर से 141 किलोमीटर की दूरी पर है.

Tags: Bilaspur news, Chhattisagrh news, Latest hindi news

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें