में अवैध रूप से चल रही पैथोलॉजी लेबोरेटरी और निजी नर्सिंग की लापरवाही के चलते गौरेला ब्लॉक के रहने वाले पति-पत्नी एड्स के शिकार हो गए.
इस दंपति ने जब 4 साल पहले अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया, तो प्रसूता को एक डॉक्टरों ने खून की कमी बतलाई. इस पर इन्होंने अपने एक रिश्तेदार को रक्तदान के लिए बुलवाया. निजी नर्सिंग होम के डॉक्टर ने उस ब्लड डोनर को बस स्टैंड स्थित पास के ही पैथोलॉजी लैब में खून जांच करवाने भेज दिया. उसके खून का ग्रुप प्रसूता के खून से मैच न होने का हवाला देते हुए लैब संचालक ने अपने पास रखे खून की बॉटल दे दी. डॉक्टर ने बिना जांच के वह खून प्रसूता को चढ़ा दिया.
कुछ समय बाद महिला को शरीरिक कमजोरी आने लगी और बार-बार सर्दी-खांसी के साथ बीमार पड़ने लगी. परिजन इसे सामान्य बीमारी समझते रहे और समय बीतता गया. हाल ही में महिला तीसरी बार गर्भवती हुई और जांच के लिए गौरेला (पेंड्रा रोड) के सेनेटोरियम अस्पताल पहुंची तो वहां जांच में डाक्टरों ने महिला को एचआईवी पाजिटिव पाया.
जब उन्होंने इसकी जानकारी दंपति को दी तो महिला और उसका पूरा परिवार सुनकर चकित रहे गए. जांच में महिला का पति भी एचआईवी संक्रमित पाया गया. चिकित्सकों ने महिला और उसके पति से विस्तार से जानकारी ली तब दूसरे बच्चे के जन्म के समय महिला को खून चढ़ाने की बात सामनेआई.
इस मामले में जवाबदारों का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने जांच और उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देश के बाद दोषियों पर उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया है.
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FIRST PUBLISHED : August 21, 2017, 00:23 IST