विधानसभा चुनाव: सोशल मीडिया ने यहां मंदा किया प्रचार का व्यापार!

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सोशल मीडिया के चलन ने इस बार धमतरी में प्रचार के व्यापार को मंदा कर दिया है. फ्लेक्स प्रिटिंग, ऑफसेट और वाल पेंटर खाली बैठे हैं.
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated: October 15, 2018, 5:15 PM IST
सोशल मीडिया के चलन ने इस बार धमतरी में प्रचार के व्यापार को मंदा कर दिया है. फ्लेक्स प्रिटिंग, ऑफसेट और वाल पेंटर खाली बैठे हैं. जबकि इससे पहले चुनावों में प्रचार का धंधा सबसे ज्यादा होता रहा है, लेकिन इस चुनाव में बड़ी संख्या में प्रचार उद्योग से जुड़े लोगों के व्यापार पर असर पड़ सकता है. प्रत्याशियों के खर्च को लेकर निर्वाचन आयोग की नकेल और सोशल मीडिया में प्रचार प्रसार इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है.
फेसबुक, ट्वीटर, वाट्सएप और दूसरे सोशल नेटर्किंग साइट खोलते ही आपको भजपा कांग्रेस सहित अन्य दलों के छोटे बड़े नेताओं के पोस्ट और ट्वीट नजर आते हैं. मंत्री से लेकर विधायक और पार्टी के जिले के अध्यक्ष से लेकर आम कार्यकर्ता अपने पोस्ट के जरिये एक एक आदमी तक पहुंच बनाने में लगे रहते हैं. चुनाव के मद्देनजर सभी दलों ने सोशल मडिया में जंग के लिए वॉर रूम तैयार कर रखा है.
जानकारों की मानें तो ये सोशल मीडिया की पहुंच और ताकत का ही असर है कि इस बार इसके बिना चुनाव संभव नहीं है. जिस पैमाने पर सोशल मीडिया का असर है, उसके मुकाबले इसका इस्तेमाल लगभग मुफ्त ही है. यही वजह है कि सभी सियासी दल अपने प्रचार की रणनीति में सोशल मीडिया को सबसे ज्यादा तवज्जो दी रहे हैं.
ये भी पढ़ें: विधानसभा चुनाव: छत्तीसगढ़ में इस गठबंधन ने वामदलों की रणनीति पर फेरा पानी! धमतरी में भाजपा प्रवक्ता कविन्द्र जैन का कहना है कि वर्तमान में सोशल मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है. इसकी उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता. ऐसे में सोशल मीडिया में प्रचार प्रसार को लेकर विशेष रणनीति के तहत काम किया जा रहा है. कांग्रेस के धमतरी जिला अध्यक्ष मोहन ललवानी का कहना है कि सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार का सबसे उपयोगी माध्यम बन गया है. ऐसे में कांग्रेस भी इसको लेकर रणनीति के तहत काम कर रही है.
प्रचार-प्रसार के व्यापार से जुड़े संजय और दुर्गा दास का कहना है कि सोशल मीडिया के कारण प्रचार का परंपरागत उद्योग ठप होने को है. पूर्व के चुनावों में वाल पेंटर, ऑफसेट प्रिंटर और फ्लेक्स प्रिंटर जम कर इस्तेमाल होते रहे हैं. इससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता राह है, लेकिन मुफ्त के सोशल मीडिया ने धंधा मंदा कर रखा है. जिससे इस व्यापार से जुड़े व्यापारी और कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं.
ये भी पढ़ें: बूथ स्तर पर खुद को मजबूत करने इस रणनीति पर काम कर रही हैं पार्टियां
फेसबुक, ट्वीटर, वाट्सएप और दूसरे सोशल नेटर्किंग साइट खोलते ही आपको भजपा कांग्रेस सहित अन्य दलों के छोटे बड़े नेताओं के पोस्ट और ट्वीट नजर आते हैं. मंत्री से लेकर विधायक और पार्टी के जिले के अध्यक्ष से लेकर आम कार्यकर्ता अपने पोस्ट के जरिये एक एक आदमी तक पहुंच बनाने में लगे रहते हैं. चुनाव के मद्देनजर सभी दलों ने सोशल मडिया में जंग के लिए वॉर रूम तैयार कर रखा है.
जानकारों की मानें तो ये सोशल मीडिया की पहुंच और ताकत का ही असर है कि इस बार इसके बिना चुनाव संभव नहीं है. जिस पैमाने पर सोशल मीडिया का असर है, उसके मुकाबले इसका इस्तेमाल लगभग मुफ्त ही है. यही वजह है कि सभी सियासी दल अपने प्रचार की रणनीति में सोशल मीडिया को सबसे ज्यादा तवज्जो दी रहे हैं.
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प्रचार-प्रसार के व्यापार से जुड़े संजय और दुर्गा दास का कहना है कि सोशल मीडिया के कारण प्रचार का परंपरागत उद्योग ठप होने को है. पूर्व के चुनावों में वाल पेंटर, ऑफसेट प्रिंटर और फ्लेक्स प्रिंटर जम कर इस्तेमाल होते रहे हैं. इससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता राह है, लेकिन मुफ्त के सोशल मीडिया ने धंधा मंदा कर रखा है. जिससे इस व्यापार से जुड़े व्यापारी और कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं.
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