VIDEO: बिना उपयोग के ही कबाड़ हो गईं करोड़ों रुपए की मशीनें
धमतरी नगर निगम एक तरफ नालियों और सड़कों की सफाई में बड़ी रकम खर्च कर रहा है, वहीं सफाई करने के लिए मंगाई गई करोड़ों रुपए कीमत की मशीनें बिना उपयोग के रखे-रखे ही कबाड़ बन चुकी हैं.
- ETV MP/Chhattisgarh
- Last Updated: January 19, 2018, 5:21 PM IST
छत्तीसगढ़ में स्वच्छता का अवॉर्ड जीतने के लिए धमतरी नगर निगम ने आजकल अपनी पूरी ताकत लगा दी है. एक तरफ नालियों और सड़कों की सफाई में बड़ी रकम खर्च की जा रही है, वहीं सफाई करने के लिए मंगाई गई करोड़ों रुपए कीमत की मशीनें बिना उपयोग के रखे-रखे ही कबाड़ बन चुकी हैं.
धमतरी नगर में कभी इन मशीनों का उपयोग ही नहीं किया गया. इनमें से एक है आधा करोड़ रुपए कीमत का झाड़ू लगाने वाला ट्रक. ये बरसों से यूं ही कहीं भी खुले खड़ा कर दिया जाता है. इसकी मशीनी झाड़ू बगैर उपयोग के ही झड़ चुकी है और लोहे में जंग लग चुका है. अब ये सिर्फ कबाड़ है और कुछ नहीं.
दूसरी हाइड्रोलिक मशीन नाली सफाई के लिए खरीदी गई थी ताकि गंदगी और दुर्गंध से भरी गहरी गटरों और नालियों में बिना इंसान को उतारे ही तमाम कचरा आसानी से निकाला जा सके. इस मशीन का इतिहास भी झाड़ू वाले ट्रक से अलग नहीं है. इसी तरह चलित शौचालय, ट्रैक्टर-ट्राली की भी लाइन लगी है, जो कबाड़ हो रहे हैं. इनका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है.
जनता के पैसे से खरीदी गई ये संपत्ति जनता के कभी काम नहीं आ सकी. नगर निगम आयुक्त अशोक द्विवेदी का कहना है कि ये सब मशीनें काफी पुरानी हैं और कबाड़ हो चुकी हैं. इन्हें कबाड़ियों को बेचने के लिए टेंडर हो चुके हैं. वहीं इस मुद्दे पर अब विपक्षी दलों की नजर भी पड़ चुकी है और वो इसे भुनाने की तैयारी कर रहे हैं. नगर निगम और भाजपा अब कांग्रेस के निशाने पर हैं.
धमतरी नगर में कभी इन मशीनों का उपयोग ही नहीं किया गया. इनमें से एक है आधा करोड़ रुपए कीमत का झाड़ू लगाने वाला ट्रक. ये बरसों से यूं ही कहीं भी खुले खड़ा कर दिया जाता है. इसकी मशीनी झाड़ू बगैर उपयोग के ही झड़ चुकी है और लोहे में जंग लग चुका है. अब ये सिर्फ कबाड़ है और कुछ नहीं.
दूसरी हाइड्रोलिक मशीन नाली सफाई के लिए खरीदी गई थी ताकि गंदगी और दुर्गंध से भरी गहरी गटरों और नालियों में बिना इंसान को उतारे ही तमाम कचरा आसानी से निकाला जा सके. इस मशीन का इतिहास भी झाड़ू वाले ट्रक से अलग नहीं है. इसी तरह चलित शौचालय, ट्रैक्टर-ट्राली की भी लाइन लगी है, जो कबाड़ हो रहे हैं. इनका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है.
जनता के पैसे से खरीदी गई ये संपत्ति जनता के कभी काम नहीं आ सकी. नगर निगम आयुक्त अशोक द्विवेदी का कहना है कि ये सब मशीनें काफी पुरानी हैं और कबाड़ हो चुकी हैं. इन्हें कबाड़ियों को बेचने के लिए टेंडर हो चुके हैं. वहीं इस मुद्दे पर अब विपक्षी दलों की नजर भी पड़ चुकी है और वो इसे भुनाने की तैयारी कर रहे हैं. नगर निगम और भाजपा अब कांग्रेस के निशाने पर हैं.