पीएम मोदी के सपने की खातिर तुड़वा दिया अपना पक्का मकान, अब झोपड़ी में रह रहा ये परिवार
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में एक गरीब लोहार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा करने के लिए अपने पक्के मकान को तुड़वा दिया.
- ETV MP/Chhattisgarh
- Last Updated: May 29, 2017, 8:30 AM IST
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में एक गरीब लोहार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत के सपने की खातिर अपने पक्के मकान को तुड़वा दिया. अब उसका परिवार कच्ची झोपड़ी में रह रहा है.
यह मामला है धमतरी के नगरी ब्लॉक की ग्राम पंचायत सांकरा के आश्रित नवागांव का. यहां रहने वाले रामसुंदर लोहार को जब अपने घर में शौचालय बनाने के लिए ईंटों की कमी पड़ी तो उसने अपना पक्का मकान तोड़ दिया. उससे निकली ईंटों से शौचालय बना लिया. जो गांव वाले पहले रामसुंदर के फैसले को पागलपन बता रहे थे, अब वे ही उसकी तारीफ कर रहे हैं.
रामसुंदर लोहार और उसका परिवार मजदूरी करके अपना जीवन यापन करता है. सर्वे सूची में नाम नहीं होने के कारण इस गरीब परिवार को प्रधानमंत्री आवास की पात्रता नहीं थी. रामसुंदर ने किसी तरह मकान तो पक्का बना लिया, लेकिन शौचालय के प्रति जब जागरूकता आई तब वो समझा कि जिस मकान में शौचालय नहीं, वो मकान मुकम्मल नहीं.
रामसुंदर को सरकारी योजना के तहत एक शौचालय बनाने की सामग्री दी गई, लेकिन रामसुंदर अपने परिवार से साथ ही घर आने वाले मेहमानों के लिए भी एक अलग शौचालय बनाना चाहता था. इसके लिए उसे ईंटों की कमी पड़ गई. रामसुंदर ने ईंटों की कमी पूरी करने के लिए अपना पक्का मकान तोड़ दिया. वहां से निकली ईंटों से दो पक्के शौचालय बना लिए. घर टूटने के बाद रामसुंदर ने उसी जगह पर कच्ची झोपड़ी बना ली और अब वो अपने परिवार के साथ वहीं रहता है.
गांव वालों ने पहले तो रामसुंदर के इस फैसले को पागलपन करार दिया, लेकिन बाद में स्थित बदलती गई और अब सभी रामसुंदर लोहार के इस फैसले की की तारीफ कर रहे हैं. धमतरी भाजपा जिला अध्यक्ष रामू रोहरा का कहना है कि धमतरी की ही कुंवरबाई की तरह रामसुंदर को भी पुरस्कार और सरकारी मदद मिलनी चाहिए.
यह मामला है धमतरी के नगरी ब्लॉक की ग्राम पंचायत सांकरा के आश्रित नवागांव का. यहां रहने वाले रामसुंदर लोहार को जब अपने घर में शौचालय बनाने के लिए ईंटों की कमी पड़ी तो उसने अपना पक्का मकान तोड़ दिया. उससे निकली ईंटों से शौचालय बना लिया. जो गांव वाले पहले रामसुंदर के फैसले को पागलपन बता रहे थे, अब वे ही उसकी तारीफ कर रहे हैं.
रामसुंदर लोहार और उसका परिवार मजदूरी करके अपना जीवन यापन करता है. सर्वे सूची में नाम नहीं होने के कारण इस गरीब परिवार को प्रधानमंत्री आवास की पात्रता नहीं थी. रामसुंदर ने किसी तरह मकान तो पक्का बना लिया, लेकिन शौचालय के प्रति जब जागरूकता आई तब वो समझा कि जिस मकान में शौचालय नहीं, वो मकान मुकम्मल नहीं.

रामसुंदर लोहार. फोटो : न्यूज18/ईटीवी
गांव वालों ने पहले तो रामसुंदर के इस फैसले को पागलपन करार दिया, लेकिन बाद में स्थित बदलती गई और अब सभी रामसुंदर लोहार के इस फैसले की की तारीफ कर रहे हैं. धमतरी भाजपा जिला अध्यक्ष रामू रोहरा का कहना है कि धमतरी की ही कुंवरबाई की तरह रामसुंदर को भी पुरस्कार और सरकारी मदद मिलनी चाहिए.