VIDEO: घायल किसान को चारपाई पर लेटाकर बैंक ले आए ग्रामीण
बैंक कर्मचारी की हठधर्मिता के कारण एक दुर्घटनाग्रस्त किसान को लोगों की मदद से चारपाई पर सवार होकर बैंक शाखा में पहुंचना पड़ा. उसके बाद ही उसे समर्थन मूल्य पर बेचे गए अपने धान के पैसे बैंक खाते से मिल पाए.
- News18India
- Last Updated: December 22, 2017, 11:28 PM IST
छत्तीसगढ़ में धमतरी जिला सहकारी बैंक की मगरलोड शाखा में एक कर्मचारी की हठधर्मिता के चलते इंसानियत पर सवाल खड़े हो गए. उसकी हठधर्मिता के कारण एक दुर्घटनाग्रस्त किसान को लोगों की मदद से चारपाई पर सवार होकर बैंक शाखा में पहुंचना पड़ा. उसके बाद ही उसे समर्थन मूल्य पर बेचे गए अपने धान के पैसे बैंक खाते से मिल पाए.
दरअसल छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के मेघा गांव की निवासी रामबाई गुरुवार को बैंक शाखा में पहुंची. उन्होंने बताया कि उनके पति गुहाराम साहू दुर्घटना में घायल हो गए हैं, उनका पैर टूट गया है और वो बिस्तर पर पड़े हैं. इसलिए समर्थन मूल्य पर उनके द्वारा बेचे गए धान के पैसों का भुगतान लेने के लिए वे अधिकृत दस्तावेजों के साथ आई हैं.
उनके पास ग्राम पंचायत से जारी किया गया पहचान पत्र, जिला अस्पलाल से अपने पति के इलाज की पर्ची और पति की ओर से भुगतान लेने का अधिकार पत्र था. उनके पति गुहाराम ने डेढ़ एकड़ रकबे का धान समर्थन मूल्य पर समिति में बेचा था. उसी का भुगतान बैंक खाते में जमा किया गया था, जिसे निकालने के लिए वह बैंक आई थीं.
बैंक के एक कर्मचारी ने पति की बजाय पत्नी को भुगतान करने मना कर दिया. रामबाई के बहुत गुहार लगाने के बाद भी बैंक कर्मचारी नहीं माना. इसके बाद रामबाई घर लौट गई और अपने पति को यह बात बताई.गुहाराम साहू ने जब यह बात गांव वालों को बताई तो उन्होंने उन्हें घायल अवस्था में चारपाई सहित वाहन में रखा और बैंक शाखा तक ले आए. तब कहीं जाकर गुहाराम को समर्थन मूल्य पर बेचे गए अपने धान के पैसे बैंक खाते से मिल पाए.
दरअसल छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के मेघा गांव की निवासी रामबाई गुरुवार को बैंक शाखा में पहुंची. उन्होंने बताया कि उनके पति गुहाराम साहू दुर्घटना में घायल हो गए हैं, उनका पैर टूट गया है और वो बिस्तर पर पड़े हैं. इसलिए समर्थन मूल्य पर उनके द्वारा बेचे गए धान के पैसों का भुगतान लेने के लिए वे अधिकृत दस्तावेजों के साथ आई हैं.
उनके पास ग्राम पंचायत से जारी किया गया पहचान पत्र, जिला अस्पलाल से अपने पति के इलाज की पर्ची और पति की ओर से भुगतान लेने का अधिकार पत्र था. उनके पति गुहाराम ने डेढ़ एकड़ रकबे का धान समर्थन मूल्य पर समिति में बेचा था. उसी का भुगतान बैंक खाते में जमा किया गया था, जिसे निकालने के लिए वह बैंक आई थीं.
बैंक के एक कर्मचारी ने पति की बजाय पत्नी को भुगतान करने मना कर दिया. रामबाई के बहुत गुहार लगाने के बाद भी बैंक कर्मचारी नहीं माना. इसके बाद रामबाई घर लौट गई और अपने पति को यह बात बताई.गुहाराम साहू ने जब यह बात गांव वालों को बताई तो उन्होंने उन्हें घायल अवस्था में चारपाई सहित वाहन में रखा और बैंक शाखा तक ले आए. तब कहीं जाकर गुहाराम को समर्थन मूल्य पर बेचे गए अपने धान के पैसे बैंक खाते से मिल पाए.