छत्तीसगढ़ का वो गांव जहां 7 दिन पहले ही मनाई जाती है दिवाली, जानें वजह

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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धमतरी (Dhamatari) जिले का सेमरा (Semara) गांव सारी दुनिया से 7 दिन पहले ही हर त्योहार मनाता है.
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated: October 23, 2019, 12:55 PM IST
धमतरी. देशभर में इस साल दिवाली (Diwali) त्योहार के तहत लक्ष्मी पूजा (Laxmi Pooja) 27 अक्टूबर को की जाएगी, लेकिन एक ऐसा गांव है, जहां दिवाली तय तिथि से एक सप्ताह पहले ही मना ली गई है. सिर्फ इसी साल ही नहीं बल्की हर साल इस गांव में दिवाली एक सप्ताह पहले ही मना ली जाती है. इसके पीछे ग्रामीणों की अपनी परंपरा व मान्यता है. यहां एक साथ मिलकर ग्रामीण पूजा करते हैं, दीप जलाते हैं और पटाखे फोड़ने के साथ ही खुशियां बांटते हैं.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धमतरी (Dhamatari) जिले का सेमरा (Semara) गांव सारी दुनिया से 7 दिन पहले ही हर त्योहार मनाता है. इस साल भी यहां दिवाली (Diwali) मना ली गई है. गांव में पीढ़ीयों से चली आ रही मान्यता के कारण यहां हर पर्व 7 दिन पहले मनाया जाता है. हर साल हिंदी कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है. क्योंकि इसी दिन भगवान रामचंद्र लंका विजय कर अयोध्या लौटे थे. दीपों से स्वागत हुआ था और इसिलिये ये दीपावली पर्व है, लेकिन धमतरी जिले के करीब सेमरा गांव की परिपाटी अलग भी है और अजब भी है. यहां दीपावली समय से करीब सप्ताह भर पहले यानी कार्तिक अष्टमी की तिथि को ही मना ली जाती है.

इसलिए पहले मनाते हैं त्योहारगांव के बुजुर्ग परस राम बताते हैं कि त्योहारों को एक सप्ताह पहले मनाने के पीछे एक कहानी, एक किवदंती और एक मान्यता है. परस राम कहते हैं सैकड़ों साल पहले ग्राम देवता सिरदार देव किसी के स्वप्न में आए थे, उन्होंने गांव की खुशहाली के लिए ऐसा करने कहा था, तब से हर साल दिवाली, होली, पोला और हरेली तय तारीख से एक सप्ताह पूर्व मनाते हैं. ग्रामीण जोहत सिंह कहते हैं कि सैकड़ों साल पहले गांव में बाहर से एक बुजुर्ग आकर रहने लगे थे, जिनका नाम सिरदार था. उनकी चमत्कारिक शक्तियों और बातों से गांव के लोगों की परेशानियां दूर होती थीं. इससे उनके प्रति आस्था व विश्वास बढ़ने लगा, पूर्वज उन्हें पूजने लगे थे. गांव में सिरदार देव का मंदिर भी है. उनके कहने पर ही त्योहार एक सप्ताह पहले मनाया जाता है.
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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धमतरी (Dhamatari) जिले का सेमरा (Semara) गांव सारी दुनिया से 7 दिन पहले ही हर त्योहार मनाता है. इस साल भी यहां दिवाली (Diwali) मना ली गई है. गांव में पीढ़ीयों से चली आ रही मान्यता के कारण यहां हर पर्व 7 दिन पहले मनाया जाता है. हर साल हिंदी कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है. क्योंकि इसी दिन भगवान रामचंद्र लंका विजय कर अयोध्या लौटे थे. दीपों से स्वागत हुआ था और इसिलिये ये दीपावली पर्व है, लेकिन धमतरी जिले के करीब सेमरा गांव की परिपाटी अलग भी है और अजब भी है. यहां दीपावली समय से करीब सप्ताह भर पहले यानी कार्तिक अष्टमी की तिथि को ही मना ली जाती है.

सेमरा गांव में बना सिरदार देव का मंदिर.
इसलिए पहले मनाते हैं त्योहारगांव के बुजुर्ग परस राम बताते हैं कि त्योहारों को एक सप्ताह पहले मनाने के पीछे एक कहानी, एक किवदंती और एक मान्यता है. परस राम कहते हैं सैकड़ों साल पहले ग्राम देवता सिरदार देव किसी के स्वप्न में आए थे, उन्होंने गांव की खुशहाली के लिए ऐसा करने कहा था, तब से हर साल दिवाली, होली, पोला और हरेली तय तारीख से एक सप्ताह पूर्व मनाते हैं. ग्रामीण जोहत सिंह कहते हैं कि सैकड़ों साल पहले गांव में बाहर से एक बुजुर्ग आकर रहने लगे थे, जिनका नाम सिरदार था. उनकी चमत्कारिक शक्तियों और बातों से गांव के लोगों की परेशानियां दूर होती थीं. इससे उनके प्रति आस्था व विश्वास बढ़ने लगा, पूर्वज उन्हें पूजने लगे थे. गांव में सिरदार देव का मंदिर भी है. उनके कहने पर ही त्योहार एक सप्ताह पहले मनाया जाता है.
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