आपके लिए इसका मतलबः कोरोना के डर से जांच नहीं करा रहे टीबी के संदिग्ध, कुछ की खतरे में पड़ी जान

कोविड-19 का असर टीबी की जांच पर पड़ा है. सांकेतिक फोटो.
Explainer: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दुर्ग (Durg) के डीटीओ (District TB Officer) डॉ. अनिल शुक्ला कहते हैं कि कोविड-19 (Covid-19) की महामारी का असर टीबी (TB) के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर पड़ा है.
- News18 Chhattisgarh
- Last Updated: January 18, 2021, 5:06 PM IST
दुर्ग. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दुर्ग (Durg) जिले के नेवई क्षेत्र में रहने वाली 63 वर्षीय विमला तिवारी (बदला हुआ नाम) की तबीयत दिसंबर 2020 के अंतिम सप्ताह में इतनी ज्यादा खराब हो गई कि उन्हें एक सप्ताह आईसीयू (ICU) में भर्ती रहना पड़ा. इससे पहले उनका इलाज चंदूलाल चन्द्राकर अस्पताल, भिलाई में कराया गया. यहां इलाज होना संभव नहीं था, डॉक्टर्स ने उन्हें कहीं और ले जाने की सलाह दी. जांच रिपोर्ट में उनके दिल के पास पानी भरा होना पाया गया. परिजनों ने आनन-फानन में उन्हें राज्य सरकार द्वारा संचालित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट, रायपुर में भर्ती कराया. यहां डॉ. स्मित श्रीवास्तव की देखरेख में उनका इलाज शुरू हुआ.
डॉ. स्मित श्रीवास्तव बताते हैं कि मरीज को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था. दिल के पास भरा पानी निकालने में यदि देर होती तो उनकी जान भी जा सकती थी. काउंसलिंग में मरीज व उनके परिजनों ने बताया कि अगस्त 2020 में उन्हें कोविड के लक्षण जैसे खांसी, बुखार, भूख न लगना, लगातार वजन कम होना थे, लेकिन डर के कारण वे अस्पताल नहीं गए. आसपास के डॉक्टर की सलाह से उन्होंने कुछ दवाइयां दे दीं. इससे शुरू में राहत भी मिली, लेकिन दिसंबर में अचानक उनकी तबीयत फिर से खराब हो गई. उनकी हालत में सुधार के बाद अन्य जांच में उन्हें टीबी (Tubercle Bacillus) का संदिग्ध पाया गया.

यहां हाईली सस्पेक्टेड मरीजटीबी के मरीजों की पहचान व उन्हें समय पर इलाज मुहैया कराने के उद्देश्य से दुर्ग जिले समेत पूरे राज्य में दस्तक 2021 अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में दुर्ग जिले में मुख्य भूमिका निभा रहीं टीबी वॉरियर हिमानी वर्मा ने बताया कि इसी महीने 12 जनवरी को उनकी टीम भिलाई के कैम्प-2 सूर्या नगर, श्यम नगर समेत अलग अलग क्षेत्रों में पहुंची. यहां 5 लोगों में टीबी के गंभीर लक्षण मिले. इनकी काउंसलिंग में पता चाल कि लक्षण के बाद भी ये लोग अस्पताल इसलिए नहीं गए, क्योंकि इन्हें डर था कि वो कोरोना वायरस (कोविड-19) की जांच में पॉजिटिव पाए जाएंगे और उसके प्रोटोकॉल का उन्हें पालन करना पड़ेगा.
रोजगार पर असर
हिमानी बताती हैं कि भिलाई के श्याम नगर व सूर्या नगर में जिन 3 लोगों में टीबी के गंभीर लक्षण मिले, उनमें से 2 की उम्र 21 व 23 वर्ष है. इसके अलावा एक की उम्र 53 वर्ष है. तीनों फल बेचने का व्यवसाय करते हैं. उन्होंने बताया कि यदि उनमें कोविड-19 पॉजिटिव पाया जाता तो प्रोटोकॉल के तहत उन्हें 17 दिन तक क्वारंटाइन रहना पड़ता. इसका असर उनके रोजगार पर होता. इसलिए वे जांच के लिए नहीं गए. कोविड की जगह टीबी भी हो सकता है, इसका अंदाजा भी उन्हें नहीं था.
कोविड-19 ने प्रभावित की टीबी की जांच
दुर्ग के डीटीओ (District TB Officer) डॉ. अनिल शुक्ला कहते हैं कि कोविड-19 की महामारी का असर टीबी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर पड़ा है. मार्च 2020 से नवंबर 2020 तक हमारी टीम क्षेत्र में जाकर काम नहीं कर पाई. इस वजह से टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन नहीं हो पाया. आंकड़ों का जिक्र करते हुए डॉ. शुक्ला कहते हैं कि जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 तक दुर्ग जिले में कुल स्पूटम एग्जामिनेशन का टारगेट 16 हजार 296 था, जिसमें से हम 8 हजार 317 ही कर पाए. स्पूटम पॉजिटिव का टारगेट 1584 का था, जिसमें से 648 ही हो पाया. कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण टीम क्षेत्र में काम नहीं कर पाई.

दस्तक-2021 को मिली रफ्तार
डॉ. शुक्ला बताते हैं कि दस्तक-2021 अभियान के तहत टीबी के मरीजों की पहंचान तेजी से की जा रही है. दुर्ग जिले में रिच संस्था समेत कुछ अन्य संस्थाओं के सहयोग से टीबी वॉरियर अलग अलग क्षेत्रों में जा रहे हैं. 20 टीबी वॉरियर की अलग अलग टीम क्षेत्रों का दौरा कर रही है. दस्तक 2021 के तहत 1 जनवरी से 15 जनवरी तक जिले के केन्द्रीय जेल, वृद्धा आश्रम, स्लम एरिया व खादान क्षेत्रों में टीम ने कुल 25 हजार 665 लोगों की काउंसलिंग की. इसमें से 336 लोगों में टीबी के सामान्य व गंभीर लक्षण मिले. सभी के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं. 15 जनवरी तक इनमें से 18 में टीबी की पुष्टि हुई है.
डॉ. स्मित श्रीवास्तव बताते हैं कि मरीज को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था. दिल के पास भरा पानी निकालने में यदि देर होती तो उनकी जान भी जा सकती थी. काउंसलिंग में मरीज व उनके परिजनों ने बताया कि अगस्त 2020 में उन्हें कोविड के लक्षण जैसे खांसी, बुखार, भूख न लगना, लगातार वजन कम होना थे, लेकिन डर के कारण वे अस्पताल नहीं गए. आसपास के डॉक्टर की सलाह से उन्होंने कुछ दवाइयां दे दीं. इससे शुरू में राहत भी मिली, लेकिन दिसंबर में अचानक उनकी तबीयत फिर से खराब हो गई. उनकी हालत में सुधार के बाद अन्य जांच में उन्हें टीबी (Tubercle Bacillus) का संदिग्ध पाया गया.

भिलाई के कैंप क्षेत्र में जागरुकता अभियान के तहत चर्चा करती दस्तक-2021 की टीम.
यहां हाईली सस्पेक्टेड मरीजटीबी के मरीजों की पहचान व उन्हें समय पर इलाज मुहैया कराने के उद्देश्य से दुर्ग जिले समेत पूरे राज्य में दस्तक 2021 अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में दुर्ग जिले में मुख्य भूमिका निभा रहीं टीबी वॉरियर हिमानी वर्मा ने बताया कि इसी महीने 12 जनवरी को उनकी टीम भिलाई के कैम्प-2 सूर्या नगर, श्यम नगर समेत अलग अलग क्षेत्रों में पहुंची. यहां 5 लोगों में टीबी के गंभीर लक्षण मिले. इनकी काउंसलिंग में पता चाल कि लक्षण के बाद भी ये लोग अस्पताल इसलिए नहीं गए, क्योंकि इन्हें डर था कि वो कोरोना वायरस (कोविड-19) की जांच में पॉजिटिव पाए जाएंगे और उसके प्रोटोकॉल का उन्हें पालन करना पड़ेगा.
रोजगार पर असर
हिमानी बताती हैं कि भिलाई के श्याम नगर व सूर्या नगर में जिन 3 लोगों में टीबी के गंभीर लक्षण मिले, उनमें से 2 की उम्र 21 व 23 वर्ष है. इसके अलावा एक की उम्र 53 वर्ष है. तीनों फल बेचने का व्यवसाय करते हैं. उन्होंने बताया कि यदि उनमें कोविड-19 पॉजिटिव पाया जाता तो प्रोटोकॉल के तहत उन्हें 17 दिन तक क्वारंटाइन रहना पड़ता. इसका असर उनके रोजगार पर होता. इसलिए वे जांच के लिए नहीं गए. कोविड की जगह टीबी भी हो सकता है, इसका अंदाजा भी उन्हें नहीं था.
कोविड-19 ने प्रभावित की टीबी की जांच
दुर्ग के डीटीओ (District TB Officer) डॉ. अनिल शुक्ला कहते हैं कि कोविड-19 की महामारी का असर टीबी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर पड़ा है. मार्च 2020 से नवंबर 2020 तक हमारी टीम क्षेत्र में जाकर काम नहीं कर पाई. इस वजह से टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन नहीं हो पाया. आंकड़ों का जिक्र करते हुए डॉ. शुक्ला कहते हैं कि जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 तक दुर्ग जिले में कुल स्पूटम एग्जामिनेशन का टारगेट 16 हजार 296 था, जिसमें से हम 8 हजार 317 ही कर पाए. स्पूटम पॉजिटिव का टारगेट 1584 का था, जिसमें से 648 ही हो पाया. कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण टीम क्षेत्र में काम नहीं कर पाई.

टीबी को लेकर काउंसलिंग करती दस्तक 2021 की टीम.
दस्तक-2021 को मिली रफ्तार
डॉ. शुक्ला बताते हैं कि दस्तक-2021 अभियान के तहत टीबी के मरीजों की पहंचान तेजी से की जा रही है. दुर्ग जिले में रिच संस्था समेत कुछ अन्य संस्थाओं के सहयोग से टीबी वॉरियर अलग अलग क्षेत्रों में जा रहे हैं. 20 टीबी वॉरियर की अलग अलग टीम क्षेत्रों का दौरा कर रही है. दस्तक 2021 के तहत 1 जनवरी से 15 जनवरी तक जिले के केन्द्रीय जेल, वृद्धा आश्रम, स्लम एरिया व खादान क्षेत्रों में टीम ने कुल 25 हजार 665 लोगों की काउंसलिंग की. इसमें से 336 लोगों में टीबी के सामान्य व गंभीर लक्षण मिले. सभी के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं. 15 जनवरी तक इनमें से 18 में टीबी की पुष्टि हुई है.
एक जैसे हैं टीबी और कोविड के लक्षण
दुर्ग के डीटीओ डॉ. अनिल शुक्ला कहते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण कोविड-19 और टीबी दोनों ही बीमारियों के लक्षण लगभग एक जैसे हैं. दोनों ही बीमारियों में खांसी, कभी बलगम वाली खांसी, छाती में दर्द, कमजोरी, बुखार, भूख न लगना, स्वाद समझ न आने की शिकायत होती है. ऐसे में संदिग्ध लोग दोनों बीमारियों में अंतर समझ नहीं पा रहे हैं. इसलिए अब कोविड पॉजिटिव मिलने वाले मरीजों का टीबी टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है. इसी तरह टीबी के नए मिल रहे मरीजों का कोविड टेस्ट भी करवाया जा रहा है.