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Women's Day: स्पेशल बच्चे को लायक बनाने शांता ने कुर्बान की अपनी खुशियां, बनी मिसाल

शांता आचार्या

शांता आचार्या

आज इस महिला ने स्वयं यशोदा माता की भूमिका अदा करते हुए ऐसे स्पेशल बच्चे को तैयार किया है जो समाज के लिए एक मिसाल है.

    छत्तीसगढ़ के भिलाई में की रहने वाली इस महिला ने अपना सब कुछ त्यागकर अपना पूरा जीवन ऐसे बच्चों पर लगा दिया है जो पूरी तरह से शारिरिक रूप से कमजोर है. आज यह महिला समाज के लिए एक मिसाल है जिसने अपनी सारी जिंदगी की खुशियां स्पेशल बच्चों पर कुर्बान कर दी. आज इस महिला ने स्वयं यशोदा माता की भूमिका अदा करते हुए ऐसे स्पेशल बच्चे को तैयार किया है जो समाज के लिए एक मिसाल है.
    भिलाई की शांता आचार्या वो नाम है जो स्पेशल बच्चों के लिए बेहद ही खास है. शारिरिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए शांता माता-पिता दोनों की भूमिका निभाती है. विशेश बच्चों के साथ इनकी दोस्ती ऐसी है मानों असली माता इनकी ये ही हो. भिलाई के प्रयास श्रवण बाधिर विदयालय की शांता आचार्या पहली ऐसी शिक्षक बनी जिन्हें विशेश बच्चों के प्रशिक्षण की डिग्री प्राप्त हुई थी.

    शांता आचार्या का विशेश बच्चों के साथ ऐसा लगाव था कि मानों उनकी सारी दुनिया ही वही है. तभी एक बच्चे से शांता की मुलाकात हुई जिसके दोनों हाथ नहीं थे और जो बोल सुन नहीं सकता था. गरीब परिवार इस बच्चे का भरण पोषण नहीं कर पा रहा था. तब शांता ने इस बच्चे का बीड़ा एक यशोदा माता की तरह उठाई और आज उसे उस काबिल बना दिया है जिससे कभी उसे यह महसूस नहीं होता की वो दीव्यांग है.
    गौकरण निषाद को अपने बेटे की तरह लाड प्यार करने वाली शांता आचार्या ने शादी करने की भी इच्छा को भी त्याग दिया. क्योंकि उसके सामने एक ऐसा बच्चा था जिससे वो कभी दूर नहीं होना चाहती थी. वक्त ऐसा भी आया जब सब कुछ जानते हुए भी एक व्यक्ति ने शांता के साथ विवाह करने की हामी भरी. ऐसे वक्त में भी शांता ने अपनी कोई संतान पैदा न करने का संकल्प लिया ताकि वो गौकरण को लाड प्यार से पाल सकें.

    शांता आचार्या की मेहनत का ही परिणाम है कि गौकरण की कला को देखने वाले देखते ही रह जाते है. सुबह उठने से लेकर रात सोने तक के हर एक काम गौकरण स्वयं ही कर लेता है. वहीं गौकरण की शिक्षा इतनी है कि सामान्य छात्र की शिक्षा भी कम पड़ जाए. शिक्षा के साथ-साथ गौकरण कंम्पूटर, सिलाई, कढ़ाई, लिखना, पढ़ना, खाना बनाना स्वयं कर लेता है. शांता आचार्या आज लाखों महिलाओं के लिए एक मिसाल से कम नहीं है.

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    Tags: Chhattisgarh news, International Women Day, Women

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