रिपोर्ट- लखेश्वर यादव
जांजगीर चांपा. जिला मुख्यालय से लगे हुए खोखरा में विराजी मां मनकादाई सभी की मनोकामनाओं को पूरी कर सबकी झोली खुशियों से भर देती हैं. मां की महिमा का गुणगान ग्रामीण सुबह शाम करते हैं. चैत्र व क्वांर नवरात्रि में यहां मंदिर परिसर में नौ दिवसीय मेला लगता है. ट्रस्ट की ओर से नवरात्रि पर्व के दौरान श्रद्धालुओं के लिए फ्री भोजनालय की व्यवस्था की जाती है. माता का दर्शन करने हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
मां मनकादाई खोखरा देसी रियासतों के साधु संत का गड़ था. जहां अखरा देवता के वीरता की गाथा सुनने को मिलती है. इस गांव में बहुत ज्यादा संख्या में तालाब और पुराने देवताओं के मठ और मंदिर के अस्तित्व आज भी हैं. खोखरा में मां मनका दाई, समलाई दाई, काली माई, शारदा मैय्या, शीतला माता, संतोषी माता, प्राचीन शिव मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर सहित कई देवी- देवता विराजमान हैं. तालाब और मंदिरों से घिरे होने के कारण यहां की अपनी एक अलग ही पहचान है.
ये है पौराणिक कथा
गांव के ग्रामीण बताते हैं कि प्राचीन काल में शिवाला राजाओं के गढ़ एवं राजपूत क्षत्रियों की अनोखी बस्ती के नाम से यह परिचित था. तभी मनका दाई की अद्भुत शक्ति सामने आई. वतर्मान में जहां मां मनका दाई का मंदिर और तालाब स्थापित है. वहां पहले घनघोर जंगल हुआ करता था. जिस समय मां मनका दाई की महिमा सामने आई, उसी समय सूखा और अकाल पड़ा था. उसी समय एक बालक जंगल के भीतर भैंस चराने गया और उसका भैंस गुम हो गया. बालक ने ग्रामीणों को भैंस के गुम हो जाने की खबर दी, जिससे ग्रामीण उस भैंस को ढूंढने जंगल में गए. सभी डरे सहमे हुए जंगल में प्रवेश करने लगे, क्योंकि उस जंगल में खतरनाक जानवर थे. तभी लोगों को भैंस तालाब के कीचड़ में सना मिला.
कुछ महीनों बाद बालक को मां मनका दाई ने स्वप्न में कहा कि मैं उसी तालाब में हूं, जहां तुम्हारा भैंस मिला था. मुझे यहां से निकाल कर मेरी स्थापना कर पूजा अचर्ना करो. माता के आदेश के बाद उस आदमी ने तालाब से मिट्टी निकाल कर मां मनका दाई की प्रतिमा को रूप दिया और उसकी पूजा अर्चना की. इसके बाद से खोखरा में मां मनकादाई का वास हो गया. इसके बाद मां मनका दाई पूरे गांव में भ्रमण कर किसी भी प्रकार की दुर्घटना की अपनी अद्वितीय शक्ति से आकाशवाणी करती थी. यदि किसी व्यक्ति को कोई भी समस्या आन पड़ती है तो मां के पावन चरण कमल में अपना मत्था टेक कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते थे.
वर्तमान में मां मनका दाई मंदिर में जिले के साथ प्रदेश और देशभर के श्रद्धालु अपनी आस्था लिए दर्शन करने को आते हैं. यहां चैत्र और क्वांर नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि में भी आस्था की ज्योत प्रज्जवलित होती है. मंदिर का संचालन मांjanjgir मनका दाई पब्लिक ट्रस्ट के द्वारा किया जा रहा है.
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