रिपोर्ट :लखेश्वर यादव
जांजगीर-चांपा: जिले के पामगढ़़ क्षेत्र के गांव कुटरबोड में जिला मलखंब संघ का ट्रेनिंग सेंटर है. जहां बड़़े भाई के साथ 6 साल का कुटराबोड निवासी समीर दिनकर भी जाता था.बड़े भाई को देखकर समीर दिनकर भी 10 फीट के खंबे में चढ़़ा, लेकिन वह शुरुआत में गिर गया.बार-बार कोशिश के बाद चार साल का बच्चा मलखंब में ऐसे करतब दिखाता है कि उसे देखकर लोगों के होश उड़़ जाते हैं.
बड़ी बात यह है कि राज्य स्तरीय मलखंब गेम में समीर ने सिल्वर मेडल जीता है. समीर फिलहाल कक्षा पहली में दिल्ली मार्थमा पब्लिक स्कूल कुटराबोड़ में पढ़ाई कर रहा है.समीर ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता नारायणपुर में सिल्वर मेडल जीता है. बालक की हिम्मत पहली बार देखकर कोच पुष्कर दिनकर भी दंग रह गए थे. इतनी कम उम्र में समीर अपने खेल से पूरे जिले का नाम रोशन कर रहा है.
समीर की ताकत है आत्मविश्वास और हिम्मत :
कोच पुष्कर का कहना है कि समीर दिनकर में गजब का आत्मविश्वास और हिम्मत है. वह बिना डरे जल्द ही मलखंब के दावपेंच सीख गया. मलखंब के बारे में कोच कहते हैं कि यह थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन अभ्यास से संभव है. इस खेल में पहली सीढ़ी योग है. इसके अलावा बाजुओं की मजबूती, लचीलापन, संतुलन, तेज दिमाग आवश्यक है. कोच पुष्कर ने समीर के मलखंब का करतब दिखाते हुए वीडियो फेसबुक पर अपलोड किया है. जिसको पांच दिन में में ही एक लाख से ज्यादा लाइक मिल गए.
बड़े भाई से समीर को मिली प्रेरणा:
समीर दिनकर का बड़ा भाई 18 साल का है. वह भी चार साल से मलखंब सीख रहा है. सालभर पहले मलखंब कमेटी द्वारा बिलासपुर में सब जूनियर व मिनी जूनियर की 32 वीं नेशनल प्रतियोगिता हुई थी. इसमें समीर के बड़े भाई को मेडल और पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था.
अब खेलो इंडिया गेम्स पर है नजर:
केन्द्र शासन की खेलो इंडिया स्कीम में मलखंब को शामिल करने के बाद इन खिलाडिय़ों की नजर अब खेलो इंडिया में पदक जीतने पर है. इसके लिए इन्हें स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया में अपनी योग्यता साबित कर उज्जैन में नेशनल गेम शामिल होने गए हैं. इसके लिए छोटे से ही उम्र में नियमित अभ्यास करना जरूरी है.
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