कवर्धा. सरकारी स्कूलों का नाम सुनते ही लोगों के मन में लचर शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की लापरवाही सबसे पहले दिमाग में आती है. सरकारी स्कूलों में लोग अपने बच्चों को पढ़ाने से कतराने लगे हैं. हालांकि अब इस तरह की सोच में भी बदलाव दिखने वाला है. छत्तीसगढ़ के कवर्धा में एक सरकारी स्कूल ऐसी मिसाल बनकर उभरा है कि सभी इसकी तारीफ कर रहे हैं. कवर्धा के कापादाह गांव में बने इस सरकारी स्कूल में पिछले 5 सालों में एक भी छात्र फेल नहीं हुआ है. इस साल भी छत्तीसगढ़ बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम इस स्कूल के लिए खुशखबरी के साथ खुले.
इस स्कूल में 10वीं के कुल 150 और 12वीं के कुल 86 बच्चे पास हुए हैं. इतना ही नहीं सभी छात्रों ने फर्स्ट डिविजन के साथ इस स्कूल का नाम रोशन किया है. पिछले पांच सालों से स्कूल के इस रिकॉर्ड की अब चारों तरफ तारीफ हो रही है. इस स्कूल की सफलता का राज शिक्षकों ने शेयर किया है. यहां शिक्ष पूरी ईमानदारी के साथ सालभर उपस्थित रहते हैं. साथ ही छात्रों की पढ़ाई का विशेष ध्यान भी रखा जाता है. छात्रों ने बताया कि अगर परीक्षाएं नजदीक हैं तो शिक्षक छुट्टियों के दिन भी एक्स्ट्रा क्लास लगाकर तैयारी कराते हैं. शिक्षकों के मार्गदर्शन और लगन के साथ ही छात्रों की मेहनत के कारण यह कारनामा संभव हो पाया है.
पढ़ें क्या बोले प्रिंसिपल…
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक स्कूल के प्रिंसिपल रूप चंद जायसवाल ने बताते हैं कि स्कूल में छात्रों को पूरी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. हमारे शिक्षक कमजोर छात्रों को चिन्हित करते हैं. इसके बाद उन छात्रों की तैयारी पर विशेष ध्यान दिया जाता है. ताकि कमजोर छात्र भी पिछड़ नहीं जाएं. जायसवाल बताते हैं कि साल 2012 में महज 3 शिक्षकों और कुल 19 बच्चों के साथ शुरू हुआ यह स्कूल पिछले पांच सालों से 100 प्रतिशत सफलता का रिकॉर्ड बना रहा है. कपाड़ा पंडरिया ब्लाक से ये स्कूल 10 किलोमीटर दूर बना है. अब यह स्कूल पूरे छेत्र में अपने अनुशासन और सफलता के लिए जाना जाता है. वर्तमान में यहां 27 से अधिक गांवों के सैकड़ों छात्रों पढ़ने आते हैं.
इस साल भी 100 प्रतिशत रहा सफलता का रिकॉर्ड
बता दें कि बीते शनिवार को छत्तीसगढ़ बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम घोषित किया गया था. इस साल के परिणाम में भी इस स्कूल ने रिकॉर्ड बनाया है. यहां 10वीं कक्षा के 150 छात्रों ने फर्स्ट डिवीजन के साथ परीक्षा पास की है. वहीं 12वीं कक्षा के कुल 86 छात्रों ने भी 60 प्रतिशत अंकों से परीक्षा पास कर स्कूल का नाम रोशन किया है. ग्रामीण बताते हैं कि इस स्कूल ने सफलता के लिए काफी लंबा सफर तय किया है. यहां शुरुआत में जगह की कमी, भारी बारिश, बुनियादी ढांचे जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. हालांकि आज यह स्कूल सफलता के झंडे गाढ़ रहा है.
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