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Congress अध‍िवेशन में क्‍या भूपेश बघेल ने कांग्रेस नेताओं को पहनाई थी सोने की माला? जानें सच्‍चाई

chhattisgarh news: छत्‍तीसगढ़ के कवर्धा जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र में बैगा आदिवासियों के द्वारा बिरन घास से बनाई गई विशेष माला की चर्चा है.

chhattisgarh news: छत्‍तीसगढ़ के कवर्धा जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र में बैगा आदिवासियों के द्वारा बिरन घास से बनाई गई विशेष माला की चर्चा है.

congress adhiveshan gold chains fact check:इस माला के बारे में हम आपको बता दें कि ये माला कवर्धा जिले के बैगा आदिवासियो ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

ये माला कवर्धा जिले के बैगा आदिवासियों का विशेष श्रृंगार है.
ये माला बिरन घास से बनता है, इसलिए इसका नाम भी बैगाओं ने बिरन माला ही रखा.

छत्‍तीसगढ़ के कवर्धा जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र में बैगा आदिवासियों के द्वारा बिरन घास से बनाई गई विशेष माला की चर्चा है. दरअसल राजधानी रायपुर में तीन दिनों तक चले कांग्रेस के 85वें अधिवेशन में आने वाले सभी मेहमानों की विशेष माला से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वागत किया था, जिसे लेकर भाजपा सोने की माला कहकर राजनीतिक मुद्दा भी बना रही है.

इस माला के बारे में हम आपको बता दें कि ये माला कवर्धा जिले के बैगा आदिवासियों का विशेष श्रृंगार है. जो इन्हें और अधिक सुंदर बनाता है, जिसे केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरूष वर्ग भी पहनते हैं. इसी माला को कांग्रेस ने अपने अतिथियों को पहनाया है, जिसे बड़ी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता ले गए थे. जो प्रदेश में काफी चर्चा का विषय रहा. इसे बैगा परिवार के लोग खासकर अपने लिए बनाते हैं, लेकिन कोई खरीदना चाहता है,तो 50 से 100 रूपये में बेच देते हैं.

कवर्धा जिले के पंडरिया विकास खंड अंतर्गत आने वाले सुदूर वनांचल क्षेत्र में इस तरह की मामला बैगा आदिवासी परिवार के लोग बनाते हैं. ये सालों से बनाते आ रहे है, जिन्हें बेचने के लिए नहीं बल्कि खुद पहनने के लिए. क्षेत्र के दौरै पर घूमने जाने वाले लोग इसे काफी पसंद करते हैं, जो इनसे खरीद लेते है, कुछ तो बिना पैसे के ही दे देते हैं. इस बनाने में काफी मेहनत लगती है. वनांचल में पाए जाने वाले बिरन नामक घास से ये मामला बनाई जाती है, जो बनने के बाद काफी सुंदर लगता है. इसका बैगाओं में विशेष महत्व भी है. ये माला बिरन घास से बनता है, इसलिए इसका नाम भी बैगाओं ने बिरन माला ही रखा.

जिले के वनांचल में रहने वाले लोग इस माला को सालों से पहन रहे हैं, लेकिन इसकी चर्चा कभी नहीं हुई है. पहले भी वनांचल क्षेत्र में जाने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह दौरे पर जाते थे, तो बैगाओं के द्वारा इसी माला से स्वागत किया जाता था. तब ये उतनी सुर्खियां नहीं बंटोर सका, जो वर्तमान में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा अधिवेशन में आने वाले तमाम बड़े कांग्रेसी नेताओं को पहनाने के बाद बंटोरी है. इसके पीछे भी भाजपा ही रही है, जिसने इसे सोने की माला कहकर राजनीति के फेर में प्रचार प्रसार के लायक बना दिया.

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