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यहां अगर नहीं हुआ ये र‍िवाज तो मुश्‍किल है शादी, जानें इस अनोखी परंपरा के बारे में

झारखंड के कोरबा में सोहागपुर गांव सर्पलोक है, यहां रहने वाले सवरा समाज में एक अनोखी परंपरा कायम है

झारखंड के कोरबा में सोहागपुर गांव सर्पलोक है, यहां रहने वाले सवरा समाज में एक अनोखी परंपरा कायम है

Korba News: भारत विविधताओं का देश है यहां कई जाति और बोलियां बोली जाती है. सभी समाज की अपनी-अपनी अलग परंपरा है, लेकिन क ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

कोरबा जिले में सांपों की संख्या पहले से बड़ी है. आए दिन किसी ना किसी घर में सांप मिलने की खबर आती है.
सवरा समाज जंगल की खाक छानकर जहरीले सांपों को पकड़ कर लाते है.

कोरबा: छत्‍तीसगढ़ के कोरबा में सोहागपुर गांव सर्पलोक है, यहां रहने वाले सवरा समाज में एक अनोखी परंपरा कायम है क‍ि परिवार में बेटी की शादी में दहेज में 21 सांप दिए जाते है. इसके पीछे की मान्यता है क‍ि इससे ससुराल में संपन्‍नता आए और पेट की आग बुझाने के ल‍िए सदियों से सांप दिखाकर ज‍िस प्रकार से रोजी रोटी चल रही है वो आगे भी चलती रहे. इस समाज के सामने एक बड़ी समस्या यह है क‍ि उनके पास कोई जमीन जायदाद नहीं होने से उनके जाति-प्रमाण पत्र नहीं बनने से आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

भारत विविधताओं का देश है यहां कई जाति और बोलियां बोली जाती है. सभी समाज की अपनी-अपनी अलग परंपरा है, लेकिन कोरबा जिले के करतला ब्लॉक के सोहागपुर गांव में कई सालों से बसे सवरा समाज में एक अनोखी परंपरा कायम है. समाज में जब बेटी की शादी होती है तो 21 सांप देने का रिवाज है. इसके बगैर शादी नहीं हो सकती. वन जीव संरक्षण के कानून और वन विभाग की सख्ती से सांप दिखाकर अपना और परिवार का पेट चलाने वाले सवरा जाति के लोग परेशान है. कई बार वन विभाग द्वारा कार्रवाई कर सांप को आजाद कराया जा रहा है. ऐसे में 21 सांप शादी में देने की परंपरा कम होकर 11 सांप कम से कम दे रहे है.

सवरा समाज जंगल की खाक छानकर जहरीले सांपों को पकड़ कर लाते है. जहर निकालकर अपने पिटारे में बंद घर-घर सांपों के दर्शन कराकर दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर लेते है. गांव के न‍िवासी सुनील ने बताया क‍ि सरकारी मदद के रूप में राशन कार्ड बना है. राशन मिलता है, लेकिन उनके पास कोई जमीन जायदाद नहीं होने से समाज के किसी भी सदस्य का आज जाति प्रमाण-पत्र नहीं बन सका. खुद भी पढ़ाई की है लेकिन जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने से आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.

वैसे भी कोरबा जिले में सांपों की संख्या पहले से बड़ी है. आए दिन किसी ना किसी घर में सांप मिलने की खबर आती है. कई बार सर्पदंश से समय पर इलाज नहीं कराने झाड़ फूक के चक्कर में लोगों की जान भी जा रही है. सोहागपुर गांव सर्पलोक तो जरूर है, लेकिन वन विभाग की सख्ती और जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने से सवरा समाज के लोगों को सरकारी लाभ से वंचित होना पड़ रहा है. ऐसे में जरूरत है सरकार इनकी सुध लेकर सवरों की समस्या का समाधान कर इनकी जिंदगी को सवार दें.

Tags: Jharkhand news, Korba news, Snake

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