छत्तीसगढ़ के मिनी कश्मीर में सदियों पुराना देवी मां का मंदिर, देखें यहां का नजारा, जानें मान्यता
Edited by:
Agency:News18 Chhattisgarh
Last Updated:
चैतुरगढ़ छत्तीसगढ़ के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है. यह क्षेत्र अनुपम, अलौकिक और प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दुर्गम स्थान है. चैतुरगढ़ किले में सबसे ज़्यादा महिषासुर मर्दिनी मंदिर ही मशहूर है.
अनूप पासवान/कोरबाः शारदीय नवरात्र पर्व आस्था और भक्ति भाव के साथ मनाया जा रहा है. अनेक स्थानों पर अनुष्ठान किए जा रहे हैं, जिनमें भक्त बढ़-चढ़कर हिस्सा भी ले रहे हैं. कोरबा जिले के चैतुरगढ़ में ऊंची पहाड़ी पर विराजित मां महिषासुर मर्दिनी के मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. यह मंदिर मैकल पर्वतमाला के एक हिस्से में स्थित है.
आपको बता दें कि चैतुरगढ़ का मंदिर, भारतीय पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित किया गया है. इसे छत्तीसगढ़ का कश्मीर भी कहा जाता है. महिषासुर मर्दिनी मंदिर समुद्र तल से 3,060 फ़ीट की ऊंचाई पर है. महिषासुर मर्दिनी मंदिर की ख़ास बात यह है कि, भीषण गर्मी में यहां का तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस रहता है. इस वजह से इस जगह को कश्मीर से कम नहीं समझा जाता है.
छत्तीसगढ़ का सबसे ऐतिहासिक पर्यटन स्थल
चैतुरगढ़ छत्तीसगढ़ के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है. यह क्षेत्र अनुपम, अलौकिक और प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दुर्गम स्थान है. चैतुरगढ़ किले में सबसे ज़्यादा महिषासुर मर्दिनी मंदिर ही मशहूर है. मंदिर को कल्चुरी शासन काल के दौरान राजा पृथ्वीदेव द्वारा सन् 1069 ईस्वीं में बनवाया गया था. यह ऐतिहासिक स्थान बिलासपुर-कोरबा मार्ग पर 50 किमी दूर स्थित है. जहां से लाफागढ़ की दूरी लगभग 125 किमी है. लाफा से चैतुरगढ़ 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित है.
चैतुरगढ़ छत्तीसगढ़ के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है. यह क्षेत्र अनुपम, अलौकिक और प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दुर्गम स्थान है. चैतुरगढ़ किले में सबसे ज़्यादा महिषासुर मर्दिनी मंदिर ही मशहूर है. मंदिर को कल्चुरी शासन काल के दौरान राजा पृथ्वीदेव द्वारा सन् 1069 ईस्वीं में बनवाया गया था. यह ऐतिहासिक स्थान बिलासपुर-कोरबा मार्ग पर 50 किमी दूर स्थित है. जहां से लाफागढ़ की दूरी लगभग 125 किमी है. लाफा से चैतुरगढ़ 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित है.
हवाई मार्ग, रेल मार्ग से भी पहुंच सकते हैं
यहां पर दर्शन करने के लिए आए भक्तों का कहना है कि यहां मांगी गई हर मन्नत माता पूरी करती है. माता रानी के दर्शन के साथ लोग पुरातन दृष्टिकोण से घूमने आते हैं, सुंदर हरे भरे प्रकृति के बीच आनंद उठाते हैं. यहां पर आप हवाई जहाज द्वारा भी जा सकते हैं. आप स्वामी विवेकानन्द अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचकर किले तक आ सकते हैं. राजधानी रायपुर से किले की दूरी सिर्फ 200 किलोमीटर है. रेलमार्ग, सड़क मार्ग द्वारा भी जा सकते हैं.
यहां पर दर्शन करने के लिए आए भक्तों का कहना है कि यहां मांगी गई हर मन्नत माता पूरी करती है. माता रानी के दर्शन के साथ लोग पुरातन दृष्टिकोण से घूमने आते हैं, सुंदर हरे भरे प्रकृति के बीच आनंद उठाते हैं. यहां पर आप हवाई जहाज द्वारा भी जा सकते हैं. आप स्वामी विवेकानन्द अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचकर किले तक आ सकते हैं. राजधानी रायपुर से किले की दूरी सिर्फ 200 किलोमीटर है. रेलमार्ग, सड़क मार्ग द्वारा भी जा सकते हैं.
और पढ़ें