रिपोर्ट: अनूप पासवान
कोरबा: मां आदिशक्ति की आराधना का विशेष पर्व चैत्र नवरात्र की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है. पर्व को मनाए जाने को लेकर जिले के सभी शक्ति स्थलों में तैयारियां पूरी हो गई हैं. हसदेव नदी के तट पर मौजूद मां सर्वमंगला का मंदिर कोरबा ही नहीं प्रदेश वासियों के लिए आस्था का एक बड़ा केंद्र है. जहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. यही वजह है कि नवरात्र के दौरान यहां आस्था का जनसैलाब उमड़ता है.
हसदेव नदी के तट पर मौजूद मां सर्वमंगला का मंदिर काफी पुराना है. मां सर्वमंगला को जिले की पहली आराध्य देवी माना जाता है. साल के दोनों नवरात्र में मां सर्वमंगला की विशेष पूजा आराधना होती है. माता का यह मंदिर करीब 124 साल पुराना है. जिसे लेकर कोरबा वासियों की आस्था काफी गहरी है. कोरबा के साथ ही पूरे प्रदेश वासी मां सर्वमंगला को काफी मानते हैं. यही वजह है कि नवरात्र के समय यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है.
मौजूद है 500 वर्ष पुराना वटवृक्ष
मंदिर परिसर में ही बरगद का विशाल पेड़ मौजूद है. जिसे करीब पांच सौ साल पुराना बताया जाता है. इसे मन्नतें पूरी करने वाला पेड़ माना जाता है. कहा जाता है कि पहले हसदेव नदी के तट के किनारे मौजूद इस बरगद के पेड़ के नीचे हाथी विश्राम किया करते थे. इस पेड़ की डालियों पर मोरो का बसेरा हुआ करता था. लोगों का मानना है कि इस पेड़ में रक्षासूत्र बांधकर जो भी मन्नत मांगी जाए वह अवश्य पूर्ण होती है, इसलिए दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर माता के दरबार पहुंचते है.
मां की महिमा विदेशों तक, जलती है ज्योति
चैत्र नवरात्र के मद्देनजर यहां हजारों की संख्या में सर्व मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित होती है. इस साल भी ज्योति जलवाने को लेकर तैयारियां पूरी हो गई हैं. विदेशों से भी यहां मनोकामना ज्योति कलश जलवाए जाते हैं. चैत्र नवरात्र की शुरुआत होते ही यहां भक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो जाएगी, जिसका दौर अंतिम दिनों तक चलेगा. चैत्र नवरात्र की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
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