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Korba News: लकड़ियां काटने वाले हाथ अब बुन रहे कपड़े, जानें आदिवासी महिलाओं की कहानी

जंगलों में लकड़ियां काटकर खुद का गुजारा करने वाली आदिवासी महिलाएं और युवतियां आज कपड़े बुन रही हैं. अब वे भी अपने परिवार ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: अनूप पासवान

कोरबा. रोजगार के अभाव में जंगल से लकड़ियां काटकर खुद का गुजारा करने वाली आदिवासी महिलाएं और युवतियां अब ताना-बाना से अपनी किस्मत संवार रही हैं. इनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए हथकरघा से जोड़कर कपड़ा बुनना सिखाया जा रहा है. कोरबा के लाइवलीहुड कॉलेज में इन दिनों धागों को संजोकर हथकरघा पर कपड़े बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जल्द ही ये महिलाएं बुनकर बन अपना रोजगार कर सकेंगी.

मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत आदिवासी महिलाओं और युवतियों को रोजगारपरक मुफ्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वर्तमान में सामान्य धागे से कपड़े बनाने का काम सिखाया जा रहा है. बाद में कोसा के कपड़े बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रशिक्षण ले रही महिलाओं और युवतियों ने कहा कि महीन धागों से वे अब अपने जीवन का ताना-बाना बुनने में लगी हैं. धीरे-धीरे ही सही, लेकिन अब आत्मनिर्भर बन रही हैं.

प्रशिक्षण बना मददगार

प्रशिक्षण ले रही आदिवासी युवतियां और महिलाएं न सिर्फ अपने आय का एक नया जरिया बनाने में जुटी हैं, बल्कि आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की भी कवायद कर रही हैं. यह पहली बार है जब आदिवासी युवतियां और महिलाएं बुनकरी करने के लिए आगे आई हैं.

हर महीने एक महिला कमाएगी 8 से 10 हजार

प्रशिक्षण के बाद कपड़ा बनाने में दक्ष आदिवासी महिलाओं और युवतियों को कारोबार करने में कोई परेशानी नहीं होगी. भविष्य में वे व्यवसाय कर 8 से 10 हज़ार रुपये तक महीने की आय कर सकती हैं, जिससे उनके आर्थिक जीवन को सहयोग मिलेगा.

Tags: Chhattisagrh news, Korba news, Tribal Culture

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