छत्तीसगढ़ के बिलासपुर उच्च न्यायालय ने कथित मुठभेड़ में आदिवासी युवक के मारे जाने के मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.
उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने आज यहां बताया कि अदालत की एकल पीठ ने नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले के मर्दापाल थाना क्षेत्र के अंतर्गत लाखापुर गांव में कथित फर्जी मुठभेड़ में एक आदिवासी युवक के मारे जाने के मामले में राज्य सरकार, पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी), पुलिस महानिरीक्षक (आईजी), बस्तर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) कोंडागांव को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब तलब किया है.
मृतक की पत्नी और कोंडागांव के कांग्रेस विधायक ने अदालत में याचिका दायर की थी. वर्मा के अनुसार, याचिका में कहा गया है कि लाखापुर गांव निवासी आदिवासी युवक बाल सिंह शोरी को पुलिस 24 नवंबर वर्ष 2016 को उसकी पत्नी कचरी बाई और बच्चे की मौजूदगी में घर से निकाल कर ले गई थी.
पुलिस ने 26 नवंबर की सुबह बाल सिंह का शव यह कहते हुए घर वालों को सौंप दिया कि नक्सली होने के कारण युवक मुठभेड़ में मारा गया.घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने 28 नवंबर को विधायक मोहन मरकाम की उपस्थिति में थाना के सामने प्रदर्शन भी किया और राज्य शासन सहित सभी संबंधित अधिकारियों को मामले की जानकारी देते हुए जांच की मांग की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
अधिवक्ता ने बताया कि बाद में मृतक की पत्नी कचरी बाई और विधायक मोहन मरकाम ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. मृतक की पत्नी का आरोप है कि इससे पहले भी पुलिस ने उसके पति को नक्सली बताकर जेल में बंद कर दिया था.
अदालत में उसके खिलाफ मामला भी चला और 30 जुलाई 2016 को उसे रिहा कर दिया गया था. इसके बाद से ही पुलिस मौके की तलाश में थी और 24 नवंबर को फिर उसे पकड़कर ले गई.
अधिवक्ता वर्मा ने बताया कि याचिका में पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है.उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय में जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए मामले में राज्य सरकार, डीआईजी, आईजी बस्तर और एसपी कोंडागांव को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब तलब किया है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : January 06, 2017, 22:59 IST